जय हिन्द 🇮🇳🇮🇳
हिन्दोस्ताँ है वीर गाथाओं से भरा पड़ा
क्रांतिकारियों ने आज़ादी के लिए है खूब लड़ा
जलियाँवाला बाग हज़ारों के खून से आज भी है सना पड़ा अहिंसा के पुजारी 'बापू' से था अंग्रेज़ भी डरा
इंकलाब की आंधी से हर चट्टान चूर होता रहा
आज़ादी के मशाल के सामने जनरल अंग्रेजों का रोता रहा कौम हिन्दोस्ताँ की जगकर बाजू-ए-मशाले को सजोता रहा जब अंग्रेज चैन की नींद सोता रहा
भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु के शहीद होने पर मुल्क सारा रोया था
यूँ हुआ जैसे भारत माँ ने अपनी कोख से बेटा खोया था
हर युवा ने आँखों से आग बरसाया था
हर दिन एक नया भगत सिंह शहीद होने को आगे आया था
न कोई हिन्दू कोई मुसलमान
आज़ादी में सबका खून पसीना बहा एक समान
देश अपना यूँ ही नहीं बना महान
अपने बेटों की आहुति देकर देश की माओं ने बढ़ाई स्वराज की शान
एक किसान एक सरहद का जवान
वतन की मिट्टी में बसती है दोनों की जान
जब सुकूत से सोता है सारा हिंदुस्तान
सियाचिन ग्लेशियर में खड़ा रहता है देश के लिए कर सब कुछ बलिदान
छाती पर गोली खाकर जंग-ए-मैदान में खड़ा रहा
मिट्टी का तिलक लगाकर तिरंगे को फहराया
माँ का वो बेटा मात्र इक्कीस साल का तिरंगे में लिपटकर आया
इक इक बूँद लहू का वतन के काम आया
वीरगाथाओं में हर दिन एक फौजी का नाम है आया
"अदब वाले हैं हम फौजी कफ़न साथ लिए फिरते हैं।
दो गज ज़मीन और तिरंगा साथ लिए फिरते हैं।"
जय हिन्द
© @noor
क्रांतिकारियों ने आज़ादी के लिए है खूब लड़ा
जलियाँवाला बाग हज़ारों के खून से आज भी है सना पड़ा अहिंसा के पुजारी 'बापू' से था अंग्रेज़ भी डरा
इंकलाब की आंधी से हर चट्टान चूर होता रहा
आज़ादी के मशाल के सामने जनरल अंग्रेजों का रोता रहा कौम हिन्दोस्ताँ की जगकर बाजू-ए-मशाले को सजोता रहा जब अंग्रेज चैन की नींद सोता रहा
भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु के शहीद होने पर मुल्क सारा रोया था
यूँ हुआ जैसे भारत माँ ने अपनी कोख से बेटा खोया था
हर युवा ने आँखों से आग बरसाया था
हर दिन एक नया भगत सिंह शहीद होने को आगे आया था
न कोई हिन्दू कोई मुसलमान
आज़ादी में सबका खून पसीना बहा एक समान
देश अपना यूँ ही नहीं बना महान
अपने बेटों की आहुति देकर देश की माओं ने बढ़ाई स्वराज की शान
एक किसान एक सरहद का जवान
वतन की मिट्टी में बसती है दोनों की जान
जब सुकूत से सोता है सारा हिंदुस्तान
सियाचिन ग्लेशियर में खड़ा रहता है देश के लिए कर सब कुछ बलिदान
छाती पर गोली खाकर जंग-ए-मैदान में खड़ा रहा
मिट्टी का तिलक लगाकर तिरंगे को फहराया
माँ का वो बेटा मात्र इक्कीस साल का तिरंगे में लिपटकर आया
इक इक बूँद लहू का वतन के काम आया
वीरगाथाओं में हर दिन एक फौजी का नाम है आया
"अदब वाले हैं हम फौजी कफ़न साथ लिए फिरते हैं।
दो गज ज़मीन और तिरंगा साथ लिए फिरते हैं।"
जय हिन्द
© @noor