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मौत की खाई
यह एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी है जो जयदेव के साथ घटित हुई थी।

जयदेव भूत-प्रेतों पर विश्वास नहीं करता था जयदेव जब सेकंड क्लास में पढ़ता था तब उसके अपने मम्मी पापा हर वक्त उसको समझाते रहते थे, कि बेटा डरावनी जगह पर जाने से तुम्हारे ऊपर कुछ गलत हो सकता है इसलिए ऐसी जगह पर मत जाना या फिर कुछ ऐसा मत करना जिसकी वजह से तुम खतरे में पड़ जाओ।

परंतु जयदेव अपने बचपन में बहुत मनचला था वह इन सभी बातों को प्रैक्टिकली करने के लिए उत्सुक रहता था। उसका मन इन सभी कामों को करने के लिए प्रेरित होता रहता था। इसी वजह से जयदेव अपने बचपन में एक ऐसी घटना से रूबरू हो गया जिसका खामियाजा उसे बहुत बुरी तरह से उठाना पड़ा था।

बात उसके बचपन के जन्मदिन की है उसके पापा ने जन्मदिन पर उसे एक साइकिल गिफ्ट की थी वह अपनी साइकिल लेकर बहुत दूर तक चला जाया करता था और उसका घर एक ऐसी जगह पर था जहां से लगभग 2 किलोमीटर दूर एक पुराना रेलवे स्टेशन बना हुआ था। बहुत से लोगों ने बता रखा था कि उस रेलवे स्टेशन पर भूत प्रेतों का वास है दरअसल रेलवे स्टेशन के बगल में एक छोटी सी खाई थी जो ज्यादा गहरी नहीं थी बहुत से लोग उस खाई के पास जाते ही मर जाते हैं। जब यह बात जयदेव को पता चलती है तो वह बहुत उत्सुक होता है उस खाई के पास जाने के लिए।

देखते ही देखते जयदेव अपने दो दोस्तों के साथ उस खाई के पास जाने के लिए राजी हो जाता है।इस दौरान उसके दोनों दोस्त जयदेव को समझाते हैं कि तुम्हें उस खाई के पास नहीं जाना चाहिए लेकिन जयदेव अपनी जिद पर अड़ा था और वह उस खाई में उतरने के लिए...