शापित गुलाब
अध्याय 1: शापित गुलाब
रानी विक्रमादित्य की छतरी के नीचे, एक छोटा सा बगीचा था। उस बगीचे में, एक खूबसूरत गुलाब का झाड़ था। उसके फूल, लाल रंग के, इतने खूबसूरत थे कि देखने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता था। लेकिन, उस खूबसूरती के पीछे एक रहस्य छिपा हुआ था।
कहते हैं, उस गुलाब के झाड़ को एक शाप मिला हुआ था। एक राजकुमारी, जिसका नाम था रत्नमाला, उस बगीचे में आया करती थी। वह इस गुलाब के फूलों से बहुत प्यार करती थी। एक दिन, उसने एक फूल तोड़ लिया, लेकिन तभी एक साधु ने उसे रोका।
साधु ने कहा, "हे राजकुमारी, इस गुलाब को मत तोड़ो। इस पर एक शाप है। जो भी इस फूल को तोड़ेगा, उसे दुख ही दुख मिलेगा।"
लेकिन रत्नमाला ने साधु की बात नहीं मानी। उसने फूल तोड़ लिया और उसे अपने बालों में सजा लिया। तभी से, राजकुमारी की जिंदगी में दुखों का दौर शुरू हो गया।
उसके पिता, राजा विक्रमादित्य, बीमार पड़ गए। राज्य में अकाल पड़ गया। और सबसे बुरी बात यह थी कि रत्नमाला को एक अजीब सी बीमारी हो गई, जिसका कोई इलाज नहीं था।
राजा विक्रमादित्य ने देश के सभी वैद्य बुलाए, लेकिन किसी ने भी रत्नमाला को ठीक नहीं कर पाया। अंत में, एक बुजुर्ग वैद्य ने बताया कि रत्नमाला की बीमारी का कारण वह शापित गुलाब है।
राजा विक्रमादित्य ने तुरंत ही आदेश दिया कि उस गुलाब के झाड़ को जला दिया जाए। लेकिन जैसे ही आग उस झाड़ को छूई, एक भयंकर आंधी आई और आग बुझ गई।
राजा विक्रमादित्य समझ गए कि इस शाप को तोड़ना इतना आसान नहीं है। उन्होंने देश के सभी पंडितों को बुलाया, लेकिन कोई भी इस शाप को तोड़ने का उपाय नहीं बता सका।
रत्नमाला की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। राजा विक्रमादित्य बहुत दुखी थे। उन्होंने सोचा कि क्या कभी उनकी बेटी ठीक हो पाएगी? क्या कभी इस शाप से मुक्ति मिलेगी?
अध्याय 2: रहस्यमयी आवाज
राजा विक्रमादित्य की चिंता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। उनकी प्यारी बेटी रत्नमाला की हालत बिगड़ती जा रही थी। वह दिन-रात उसकी सेवा में लगे रहते थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था।
एक रात, जब राजा विक्रमादित्य निराशा में डूबे हुए थे, तो उन्हें एक रहस्यमयी आवाज सुनाई दी। आवाज उनके कमरे में ही आ रही थी, लेकिन उसे देख नहीं पा रहे थे।
"हे राजन," आवाज बोली, "शाप तोड़ने का एक ही उपाय है।"
राजा विक्रमादित्य चौंक गए। उन्होंने पूछा, "कौन हो तुम? और शाप तोड़ने का क्या उपाय है?"
"मैं हूं इस बगीचे का रक्षक," आवाज ने उत्तर दिया, "और शाप तोड़ने के लिए तुम्हें एक विशेष पूजा करनी होगी।"
"वह पूजा क्या है?" राजा विक्रमादित्य ने उत्सुकता से पूछा।
"उस पूजा के लिए तुम्हें तीन चीजें चाहिए," आवाज ने कहा, "पहली चीज है, उस गुलाब के झाड़ की एक टहनी। दूसरी चीज है, एक सच्चा प्रेम करने वाला मनुष्य का हृदय। और तीसरी चीज है, एक आंसू, जो किसी ने सच्चे दिल से प्रेम के लिए रोया हो।"
राजा विक्रमादित्य ने ध्यान से सुना। यह पूजा बहुत कठिन थी। गुलाब की टहनी तो वह आसानी से प्राप्त कर सकते थे, लेकिन सच्चा प्रेम करने वाले...