अक्षरो मैं सिमटा वजूद मेरा
''दिल ख्याल और धड़कन में समाए तुम हो,
मेरे भीतर आत्म के इत्र बिखराए तुम हो II
आओ आपको एक रोज से रिझाता हूं,
बचपन के मनोज और आज के विनोद से मिलाता हूं II
जन्म भारतवर्ष के राजस्थान गंगानगर के आंचल में,
नो जुलाई सन् उन्नीस सो पिचानवे वक्त के सांचल मैं II
मेरे पापा का नाम लिलू राम है,
उनकी दया से जग में मेरा नाम है II
मां मेरी संतोष है,
प्रेम स्वरूप आत्मरोष है II
धर्मेंद्र मेरा छोटा भाई है,
मेरी खुशी उसमे समाई है II
सुमन मेरी छोटी...
मेरे भीतर आत्म के इत्र बिखराए तुम हो II
आओ आपको एक रोज से रिझाता हूं,
बचपन के मनोज और आज के विनोद से मिलाता हूं II
जन्म भारतवर्ष के राजस्थान गंगानगर के आंचल में,
नो जुलाई सन् उन्नीस सो पिचानवे वक्त के सांचल मैं II
मेरे पापा का नाम लिलू राम है,
उनकी दया से जग में मेरा नाम है II
मां मेरी संतोष है,
प्रेम स्वरूप आत्मरोष है II
धर्मेंद्र मेरा छोटा भाई है,
मेरी खुशी उसमे समाई है II
सुमन मेरी छोटी...