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कौन भगवान नास्तिक इंसान ✍🏻
कौन भगवान नास्तिक इंसान ✍🏻

घर से कुछ दूर रहने वाले शर्मा जी प्रचंड नास्तिक हैं

घर के सामने आने वाले साधू संत को एक ढेला नहीं दे सकते, पर मक्कार ढोंगी बोलने का copyright कभी नहीं भूलते, हाँ कुत्ते को बिस्कुट खिलाते सदैव दिखते हैं !

कभी घर में पूजा पाठ, मंदिर जाने, या सनातन पर्वों पर उनका बस एक ही बयान रहता है :- ये सब फालतू के काम मेरे बस का नहीं है ! अब क्या करें बहुत बिजी आदमी हैं !

अगर किसी घर में पड़ोस में रामायण सत्संग या भजन बज जाए तो शर्मा जी का मुँह जलेबी के टेढ़ेपन को टक्कर देता नजर आता है !

सब्जी खरीदते समय मैंने एक बार पूछा की आपको धार्मिक कार्यों से क्या दिक्कत है तो वही बिना लॉजिक का हर पढ़े लिखे 🄼🄾🄳🄴🅁🄽 घोंघा जैसा जवाब मिला की मुझे पसंद नहीं है !

सच बात तो ये है की इन मॉडर्न घोंघो को किताबी ज्ञान तो ज्ञानालयों में मिल जाता है बाकी व्यवहारिक और जीवन जीने का सात्विक अर्थ जो धर्म में निहित है उसका 1% भी बुद्धि ग्रहण नहीं करती !

बीच में कोरोना आने से पहले शर्मा जी दूसरे शहर शिफ्ट हो गए अभी कुछ दिन पहले पुराने घर को देखने आये तो मुलाकात हुई, शर्मा जी टीका लगाए रुद्री माला पहने दिखे तो बरबस रहा नहीं गया और पूछा ये सब बदलाव कुछ समझ नहीं आया !

शर्माजी के शब्दों ने मन छू लिया उन्होंने कहा भगवान् या अलौकिक अदृश्य शक्ति सच में है ये मै स्वीकार करता हूँ, कोरोना के समय पत्नी और मेरा बेटा बीमार था और पढ़े लिखे 🄳🅁 असमर्थ थे, लगा की खो दूंगा अपने परिवार को, घर के सामने बहुत छोटा सा शिव मंदिर था जहा लोग आते जाते थे तो मै उनको मूर्ख बोलके उनका अपमान करके आगे बढ़ जाय करता था परन्तु जब खुदपर आयी और विज्ञान कुछ नहीं कर पा रहा था तो कदम खुदबखुद शिव मंदिर की डेहरी लांघ गए !

ऐसा लगा जैसे कोई मुझको देख रहा है मन बहुत हल्का हो चला था कुछ देर बैठने के बाद अस्पताल को निकल गया रात में डॉ देखने आये तो बोले की अब दोनों पहले से बेहतर हैं खतरे से बाहर हैं, मेरे पूछने पे डॉ बोले ये कोरोना अभी तक तो लाइलाज बीमारी है पर भगवान् आपके साथ है और वैसे भी जहा से विज्ञान असमर्थ हो जाता है भगवान् की समर्थता बढ़ जाती है हम डॉ हैं पर सच समझते हैं !

ज्यादा पढ़े लिखे होने का मघई पना धुप निकलने पर ओस जैसे उड़ गया था जैसे जैसे भगवान् को मानने लगा मन अद्भुत शान्ति से भरता गया अब 🄼🄾🄳🄴🅁🄽 भी हूँ और समझदार भी हूँ की भगवान् है बिलकुल हैं और सबको दुःख सँभालने का सम्बल देते हैं ! हम ही ज्यादा पढ़ लिख कर घोंघा बसंत बने टहलते हैं !

उनकी बात सुनकर मै समझ गया की इनको भी सत्य का भान हो गया है, नमस्ते करके आगे बढ़ा और ॐ नमः शिवाय बोलकर भगवान् को धन्यवाद कहकर अपने काम पे निकल गया !

© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻