राम चरित्र 01 (ब्रह्म राम से रघुकुलनंदन राम का प्रारंभ)
राम चरित्र 01
(ब्रह्म राम से रघुकुलनंदन राम का प्रारंभ)
मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवहुँ सो दशरथ अजिर बिहारी।।
मंगल भवन अमंगल हारी।
उमा सहित जेहिं जपत पुरारि।।
इस कहानी की शुरुआत हमने तुलसीदास जी के दोहे से की है।
तुलसीदास जी ने अपने मंगलाचरण में कह गए हैं
" स्वान्तः सुखाय रघुनाथ गाथा भाषा निबंध मतिमंजुल मातनोति"
तुलसीदास जी कहते हैं हम अपने सुख के लिए राम जी के चरित्र वर्णन अपनी भाषा में अपनी मति अनुसार कर रहा हूँ।
तुलसीदास जी कहते हैं अमंगल का नाश कर मंगल करने वाले, दशरथ के आंगन में विचरने वाले, माता पार्वती सहित शंकर जी जिनका ध्यान करते हैं मैं उनकी कथा अपने अनुसार कहता हूँ।
राम जी की के बारे में जानने से पहले महर्षि बाल्मीकि जी के बारे में नही जाना तो बात अधूरी रह जायेगी।
महर्षि बाल्मीकि पहले डाकू बाल्मीकि थे, अपने परिवार को पालने के लिए लूट - पाट, हत्त्या आदि किया करते थे। एक बार नारद जी उनके पास मुनि के रूप में आये तो बाल्मीकि जी ने उन्हे भी पकड़ लिया और उन्हे बांधकर लूटने के बाद उनकी हत्त्या करने ही वाले थे कि नारद जी ने बाल्मीकि जी से प्रश्न किया : सुनो भाई तुम जो ये अधम कार्य करते हो...क्या इस अधम कार्य के फल...
(ब्रह्म राम से रघुकुलनंदन राम का प्रारंभ)
मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवहुँ सो दशरथ अजिर बिहारी।।
मंगल भवन अमंगल हारी।
उमा सहित जेहिं जपत पुरारि।।
इस कहानी की शुरुआत हमने तुलसीदास जी के दोहे से की है।
तुलसीदास जी ने अपने मंगलाचरण में कह गए हैं
" स्वान्तः सुखाय रघुनाथ गाथा भाषा निबंध मतिमंजुल मातनोति"
तुलसीदास जी कहते हैं हम अपने सुख के लिए राम जी के चरित्र वर्णन अपनी भाषा में अपनी मति अनुसार कर रहा हूँ।
तुलसीदास जी कहते हैं अमंगल का नाश कर मंगल करने वाले, दशरथ के आंगन में विचरने वाले, माता पार्वती सहित शंकर जी जिनका ध्यान करते हैं मैं उनकी कथा अपने अनुसार कहता हूँ।
राम जी की के बारे में जानने से पहले महर्षि बाल्मीकि जी के बारे में नही जाना तो बात अधूरी रह जायेगी।
महर्षि बाल्मीकि पहले डाकू बाल्मीकि थे, अपने परिवार को पालने के लिए लूट - पाट, हत्त्या आदि किया करते थे। एक बार नारद जी उनके पास मुनि के रूप में आये तो बाल्मीकि जी ने उन्हे भी पकड़ लिया और उन्हे बांधकर लूटने के बाद उनकी हत्त्या करने ही वाले थे कि नारद जी ने बाल्मीकि जी से प्रश्न किया : सुनो भाई तुम जो ये अधम कार्य करते हो...क्या इस अधम कार्य के फल...