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"सुहागरात"
निशा एक मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत थीं। अच्छा वेतन और रहने के लिए फ्लैट भी मिला था उसे,जहाँ वह अपने माता पिता के साथ रहती थी। माँ अब उसकी जल्द से जल्द शादी कर देना चाहतीं थी,क्योंकि उसकी बड़ी बहन का विवाह हो चुका था अब बस उस के विवाह के बाद माँ इत्मिनान पा लेना चाहतीं थी। उधर निशा की कुछ सहेलियों का विवाह हो चुका था और वह अपने प्रथम रात्रि का जो अनुभव उसको सुनाती थी उसे सुनकर वह खौफज़दा हो जाती थी। कोई कहता प्रथम रात्रि पति बहुत परेशान करते है और अपनी हर इच्छाओं को पूर्ण कर लेना चाहते है। कोई कुछ कहता तो कुछ।
निशा सोच में पढ़ जाती क्या पुरूषों को केवल अपनी इच्छा पूर्ति से मतलब होता है क्या एक स्त्री को समझना और प्रेम उसके लिए कोई मायने नहीं रखता?
खैर कुछ महीने बाद निशा और उसके परिवार का विवाह में जाना हुआ। निशा ने नीले रंग का एक लहंगा और उसके साथ बहुत ही सुंदर गहने पहनें,खूबसूरत वो थी ही संवर कर बला की खूबसूरत लग रही थी। उसी विवाह में उसके मामाजी के किसी मित्र के साथ उनके पुत्र राहुल आए थे। जब राहुल ने निशा को देखा तो देखता ही रह गया। उधर निशा भी राहुल जैसे सुदर्शन युवक को देखती रह गई।
बस फिर क्या था राहुल ने अपने प्रेम का इज़हार कर दिया जो निशा ने स्वीकार कर लिया।
राहुल एक बहुत संपन्न परिवार से था तो विरोध का कोई प्रश्न ही नहीं था। नियत समय पर निशा और राहुल विवाह बंधन में बध गयें।
प्रथम रात्रि के लिए उन दोनों के कमरे को बहुत सुन्दर तरीके से सजाया गया था, हर ओर गुलाब और रजनी गंधा के फूलों से सुन्दर लड़ियाँ लगाई गई थी।
ऊपर दीवारों पर लाल बैगनी गुब्बारे से सजावट की गई थी और बीच में उनका नाम लिखा हुआ था।
बेड के पास रखें दोनों ओर के लैप टेबल्स में सुगन्धित मोमबत्तियां सजाई गई थी।
निशा कमरे की सजावट देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी।
तभी कमरे में राहुल ने प्रवेश किया। सफेद कुर्ते और पजामे में वो बहुत आकर्षक लग रहें थे। निशा मन ही मन आने वाले संशयः से काप उठीं। और खामोश बैठी रहीं, तभी राहुल ने तंद्रा तोड़ीं और बोले निशा कुछ अपने बारे में बताओ न! निशा शरमाते हुए बोलीं क्या बोलू, राहुल बोला अपनी पसंद नापसंद और रूचियाँ सब कुछ निशा बहुत प्रसन्न हुई जब राहुल ने उसके पसंद और रूचियो को महत्व दिया। निशा ने जब सबकुछ बता दिया तब राहुल ने भी उसे अपने बारे में बहुत कुछ बताया,फिर राहुल ने धीमे से अपना हाथ निशा के हाथों पर रखा और बोला आज तक मैं अकेला था अब तुम आ गई हो जो मेरी जीवनसाथी भी है और मित्र भी,बनोगी न मेरी मित्र निशा भावुक हो उठीं और शरमाते हुए बोलीं जी जरूर,जीवन भर आपका साथ नहीं छोड़ूगी और राहुल ने निशा के माथे पर चुबंन अंकित किया और उसे अपनी आगोश में भर लिया। निशा का सारा भय समाप्त हो चुका था और पति के रूप में राहुल को पाकर वह गौरान्वित महसूस कर रहीं थी। (समाप्त) लेखन समय10:15- शनिवार



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