जिद्दो- जहद
वो भूचाल जो मेरे शांत दिखते मन के भीतर उफन रहा था..
बूंद- बूंद बन एक समंदर में बदल रहा था,
रोके ना रुके एसी बाड़ धीरे-धीरे निकल पड़ी थी उन सभी बुरे विचारों को अपने साथ बहा ले जाने के लिए जो कहीं ना कहीं मेरी इंसानियत को मारने में लगे थे !
मैं तय्यार कर रही थीं एक विशाल बांध जो उसे...
बूंद- बूंद बन एक समंदर में बदल रहा था,
रोके ना रुके एसी बाड़ धीरे-धीरे निकल पड़ी थी उन सभी बुरे विचारों को अपने साथ बहा ले जाने के लिए जो कहीं ना कहीं मेरी इंसानियत को मारने में लगे थे !
मैं तय्यार कर रही थीं एक विशाल बांध जो उसे...