वह पहला खत
मेरी शादी तय हो गई थी पर शादी क़रीब 6 महीने बाद थी इस बीच मेरे पेपर पी़जी के थे । सगांई के वक्त हमदोनों ने बस चुपके चुपके एक दुसरे को देखा था अब बीच में परीक्षाए थी और घर में कोई बड़ा जैसे भाभी और दीदी थी नहीं की कह पाती कि मुझे फोन पर बात करनी है ।मैं अपनी इच्छाएँ दबाए अपने सपनों को पंख दे रही थी ।
मन में अक्सर आता कि मैं लड़की हूँ कह नहीं पाती घर में पर मानस तो कह सकते हैं जी हाँ मेरे होने वाले पति का नाम मानस था ।उस वक्त मुझे जितना बताया गया मैं उतना ही उनके बारे में जानती थी मेरा वो पहला प्यार था इसलिए सब कुछ बस रंगीन सपनों सा था ।
अब कुछ समय बाद बस परीक्षाएँ शुरू होनी थी मैं बिल्कुल उसमें डूबी हुई थी ।अचानक माँ बाहर से आयी और एक गुलाबी लिफ़ाफ़ा थमा कर मुस्कुराने लगी ।मेरे चेहरे पर मिश्रित से भाव थे शर्म और झिझक के मैं हड़बड़ा कर पूछ बैठी क्या है इसमें हालाँकि भेजने वाला का...