...

21 views

आज़ादी का असली मतलव....
आजादी....
वो आजादी जिसके लिए 23-23साल के नौजवान हसते -हसते फांसी पर चढ़ गए,
वो आजादी जिसके लिए अनेकों माँओं के आँचल सुने रह गए, जिसके लिए अनेकों नवविवाहितों के माथे का सिंदूर चला गया,
वो आजादी जिसके लिए नन्ने -नन्ने नोनीहाल के सिर से बाप का साया उठ गया, वो आजादी जिसके लिए एक माँ अपने बच्चे को पीठ पर लादे युद्ध करने निकल पड़ी थीं।
क्या वो आजादी हमें मिली है...?
मेरे विचार में तो नहीं.....

क्युकि हम आज भी गुलाम हैं अंग्रेजी सभ्यता के,
हम आज भी गुलाम हैं क्युकि इंसान को इंसानियत से नहीं उसकी जाति, धर्म और मजहब के जाना जाता है।
हम आज भी गुलाम हैं क्युकि नारी को अपनी सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए लड़ना पड़ रहा है।
आज हमारे देश में मणिपुर और हरियाणा जैसी घटनाए उसी गुलामी का एक स्वरूप हैं।
और उसी का फायदा उठाते हैं ये पाकिस्तान जैसे मुल्क...
कभी जाति के नाम पर तो कभी धर्म के नाम हर रोज इंसानियत का क़त्ल किया है।

हम गुलाम हैं क्युकि हमें हमारा इतिहास नहीं पता हम जानते हैं आइन्टीन को हम चाडक्य को नहीं जानते..
हम जानते हैं अमेरिका और कनाडा जैसी यूनिवर्सिटीज को हम तक्षशिला और नालंदा को नहीं जानते..
हम जानते हैं कि पृथ्वी और सूर्य की दूरी ग्रीक वेज्ञानिक ने बताई थीं पर ये नहीं जानते कि वही दूरी महर्षि तुलसीदास ने हनुमान चालीसा में पहले भी लिख दी थीं।

हम गुलाम हैं क्युकि स्त्री को आज भी वस्तु समझा जाता है यहाँ लड़ाई आदमियों की होती हैं और गलिया औरतों को दी जाती हैं

और ना जाने क्या क्या ऐसे वजहे हैं जो बताती हैं हम आज भी गुलाम हैं......
© श्वेता श्रीवास