...

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मेरा शहर
दिमाग एक घनी आबादी वाले शहर सा है

यहाँ यादों ख्यालों उम्मीदों के ढेरों

 मकान एक दूसरे से इस कदर चिपके है कि इनके कमरे दिन मे भी अंधेरा रहता है।

यहाँ रास्ता भटक किसी गलत घर मे घुस जाना आम बात है।


यहाँ नए मकान बनने और पुराने मकान के ढह जाने का सिलसिला लगातार चलता रहता है।


मैं इस जाने पहचाने अनजान से शहर में सिर्फ तुम्हारी यादों के घर का पता याद रखना चाहता हूं।

इस कदर याद की इस घनी आबादी वाले शहर बाकी सबकुछ गैर जरूरी सा लगने लगे मुझे।


जब कभी अपने अतीत के पन्ने पलटाने लगूँ तब हर पन्ना मेरा तुम्हारी यादों के धागो से पिरोया मीले मुझे।


हर मोड़ हर कदम बस तुम्हारे इर्द गिर्द परिक्रमा करने के ईरादे से उठाया हुआ लगे मुझे।


मैं बस तुम्हें याद रखना चाहता हूँ और कुछ नहीं।

लंबे सफर में रोटी अचार की पोटली के साथ कि गठरी में से सिर्फ तुम्हारी यादों के चटपटे चूरण से अपने स्वाद की ग्रन्थियों को तृप्त करना चाहता हूं।


© Mystic Monk