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खुशफहमी थी...

बाहर से चुप रहने का एक मतलब ये भी हो सकता है कि भीतर बहुत शोर मचा हो. बस उसकी आवाज बाहर नहीं आती.

खुद की जिंदगी में अकेले-धकेले पड़े लोग अक्सर बाहर से बहुत लोगों से घिरे दिखते हैं. बाहर से चुप रहने का एक मतलब ये भी हो सकता है कि भीतर बहुत शोर मचा हो. बस उसकी आवाज बाहर नहीं आती.
अभिषेक ने अपना अकेलापन फेसबुक और दोस्तों के बीच खोज लिया था. शुरुआत में ये उसका अकेलापन ही था कि वो फेसबुक पर लिखने लगा. लिखने के दौरान दिल-दिमाग में अचानक से कुछ आते ही वो कुछ भी लिखने लगा. पर न जाने कौन सी वो बात थी, जिसके चलते वो लोगों से मिलने पर जिंदगी को खुशी से जीने के तरीके बताने लगा था. लोगों को शायद उसकी बात भी पसंद आती थी. महीनों-साल बीतने पर उसने खुद को खुशफहमी पाले एक ऐसे शख्स के तौर पर गढ़ लिया था, जो शायद जिंदगी जीने..खुश रहना का नजरिया लोगों के बीच बांटने लगा था.

लोगों से इनबॉक्स पर बात करने के दौरान मिली कुछ तारीफों ने उसके अकेलेपन को खत्म कर दिया था. नौकरी की थकान और जिंदगी के अकेलेपन के बीच उसे खुशफहमी होने लगी थी कि वो लोगों...