पाखण्ड
एक बार सन् 1989 में मैंने सुबह टीवी खोला तो जगत #गुरु #शंकराचार्य कांची कामकोटि जी से प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम चल रहा था।
एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि हम #भगवान को भोग क्यों लगाते हैं ?
हम जो कुछ भी भगवान को चढ़ाते हैं
उसमें से भगवान क्या खाते हैं?
क्या पीते हैं?
क्या हमारे चढ़ाए हुए पदार्थ के रुप रंग स्वाद या मात्रा में कोई परिवर्तन होता है?
यदि नहीं तो हम यह कर्म क्यों करते हैं।
क्या यह पाखंड नहीं है?
यदि यह पाखंड है तो हम #भोग लगाने का #पाखंड क्यों करें ?
मेरी भी जिज्ञासा बढ़ गई थी कि...
एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि हम #भगवान को भोग क्यों लगाते हैं ?
हम जो कुछ भी भगवान को चढ़ाते हैं
उसमें से भगवान क्या खाते हैं?
क्या पीते हैं?
क्या हमारे चढ़ाए हुए पदार्थ के रुप रंग स्वाद या मात्रा में कोई परिवर्तन होता है?
यदि नहीं तो हम यह कर्म क्यों करते हैं।
क्या यह पाखंड नहीं है?
यदि यह पाखंड है तो हम #भोग लगाने का #पाखंड क्यों करें ?
मेरी भी जिज्ञासा बढ़ गई थी कि...