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कहाँ है वो मोहब्बत
गर्मी के मौसम में चांदनी रात बहुत सुहानी थी छत के ऊपर अकेले में नजारे देखनाबहुत अच्छा लगता है शायद हर दिल को ही रात में साफ सुधरे आकाश तैरता चंद्रमा कही कही दूर चमकते सितारे कभी कोई हल्का बादल उन्हें अपनी आगोश में ले लेता कुछ दूर बगीची से सुहानी हवा के झोंके आ रहे थे और कहीं दूर से मीठी मीठी संगीतलहर मौसम को और भी सुहाना बना रही थी कितना अच्छा मौसम है दिल भी न जाने कितनी बातें कह रहा था कभी सुहानी चांदनी रात और कभी संगीत लहर में दिल डूब जाता मेरा दिल संगीत सुनने को कह रहा था मैंने रेडियो ऑन किया शिव कुमार बटालवी जी का लिखा गीत चल रहा था नीचे कोई खड़क हुआ मेरा मन इस संगीत में इतना खो गया था कि मैंने हिम्मत नहीं की कि मैं नीचे जाकर देखूँ कि कौन है ।पहला गीत था पीड़ा दा परागा भून दे नी भठी वालिये चम्बे दिए डालिए साथों लै लई हजूआँ दा भाड़ाइसके समाप्त होते ही दूसरा गीत शुरू हो गया एक कुड़ी जिदा नाम मोहब्बत गुम है गुम है गुम है हुण मेरे कोल खड़ी थी हुण मेरे कोल नहीं है इंज लगदा जिवे अज दी गल है तुरदीसी ताँ गजल सी लगदी हसदी सी ता फूल झड़दे ने गीत के समाप्त होते ही मैंने उठ कर नीचे की ट्यूबलाइट जलाई चित्र के पास रोशनी फैल गई फिर कोई वस्तु गिरी मुझे डर था की कोई मेरी तस्वीर उतार कर ना ले जाए । जिसमें भारतीय संस्कृति सादगी और पवित्रता समाई हुई है हर गीत मेरे दिल में उतर गया था कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई
सुबह चिड़िया चहकते ही मेरी आंख खुल गई मैं जल्दी से नीचे आई देखा घर का सारा सामान ठीक था कमरे बंद थे मेरी वह प्यारी तस्वीर ठीक थी उसके नीचे एक कागज का टुकड़ा चिपका हुआ था जिस पर लिखा था ! -
मैं एक चोर हूं मुझे मालूम था की आज आप अकेले हो इसलिए आप नीचे नहीं आओगे मैं आराम से चोरी करूंगा लेकिन आपके रेडियो के गीत मेरे मन को भा गए आप भी गा रहे थे उन गीतों ने ऐसा दर्द छेडा जो मेरे दिल में उतर गया जब आपने लाइट जलाई तो लड़की की उस तस्वीर ने मुझे प्रणाम कहा और आप भी नीचे नहीं आए यह सारा मौसम मन को इतना अच्छा लगा कि मैं 20 मिनट तक यहां के मौसम को निहारता रहा मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे आज वह लड़की वह मोहब्बत वापस लौट आई है जिसको शिव ने ढूंढा था आप ऊपर थे नहीं तो जरूर पूछता वह मोहब्बत यहां के किस नजारे में है जिसने मुझे आगे बढ़ने से रोक दिया अगर शिव कुमार बटालवी मेरे पास होते तो मैं उनसे पूछता की कैसी थी वह मोहब्बत और कहा है वो शायद आज के इस मीठे मौसम मे उस लड़की की तस्वीर मे छत पर किसी के दिल मे या उस गीत मे जिसने । दिल मे दर्द छेड दियाआप मेरे पास नहीं थे नही तो जरूर पूछता कि कहां है वोअच्छा आप मुझे जरूर बताना अब मैं चलता हूं
मेरे दिल ने सोचा वह लड़की वह मोहब्बत कहां है आत्मा ने कहा शायद उस चोर के दिल में थी या उस संगीत की लय में जिसने उसे वापस लौट जाने को कहा शायद इस तस्वीर और बीतने वाली रात की पहरेदार थी वह मोहब्बत जो कभी जिंदा होती है और कभी मर जाती है वह अक्सर जिंदा रहती है किसी दर्द मे किसी संजीदगी मे किसी प्रेम भरे दिल मे ।
गुरप्रीत उड़ाग