...

2 views

एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त है।।
न्याय गाथा का एक महावरतरित रूपषय दृश्यन्ति,
कलकी संबोधित करते हुए -तुमहारा अस्तित्व वापस किया भी तो भी प्रेम गाथा अनन्त को तुम पूर्ण नहीं कर पाओगी और और इस गाथा के अनन्त पूर्ण ना होने के संकेत दिखते हैं,। क्योंकि
श्रृष्टि एक काल एक बार समाप्त हुआ तो उसे वापस नहीं किया जा सकता और तुम प्रेम का नाम ले रही हो।। जो दैवीकाल में संभव हो सकता था, मगर अब तो स्त्री जहां अपनी मरियादा नाग जाए,
और अपनी योनि में खुद हसतपसेद कर लें, और मर्द जात अपना सत्व ही छोड़ चुका हो, वहां तो कोई पुनः प्राप्त करना असंभव प्रतीत होता है।।
इसलिए मुझे छमा करना -श्रीकृषण मैं बाध्य हूं।।

कन्या -ठीक है स्वामी यदि आपका यही अंतिम
निर्णय है, तो मुझे स्वीकार है, मगर मैं आपकी दासी होने के तौर पर मेरी एक छोटी सी विनती है ।।
आपसे।।
विनती भाव तत्व -आप से की गई स्त्री का कार्य यदि श्रृष्टि सुजाना है , तो आप एक बार आप खुद ही मेरी जगह आकर देखिए।।
श्रीकृष्ण स्वीकार कर ते और कन्या से आज्ञा लेते हैं।।
#₹
© All Rights Reserved