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रघुवीर सहाय
हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं ?
तो आप क्यों अपाहिज है ?
आपका अपाहिजपन तो दु:ख देता होगा
देता है ?
(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा)
हाँ तो बताइए आपका दु:ख क्या है ?
जल्दी बताइए वह दु:ख बताइए
बता नहीं पाएगा

सोचिए
बताइए
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है
कैसा
यानी कैसा लगता है
(हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा)
सोचिए
बताइए
थोड़ी कोशिश करिए
(यह अवसर खो देंगे ?)
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ- पूछ कर उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पढ़ने का
करते हैं ?
यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा

फिर हम पर्दे पर दिखलाएँगे
फूली हुई आँख की एक बड़ी तस्वीर
बहुत बड़ी तस्वीर
और उसके होठों पर एक कसम साहट भी
(आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)

एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
आप और वह दोनों
(कैमरा)
बस कर
नहीं हुआ रहने दो
पर्दे पर वक्त की कीमत है)
अब मुस्कुराएँगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई)
धन्यवाद।
-रघुवीर सहाय

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रघुवीर सहाय, एक ऐसा कवि जिसके बिना नई कविता की व्याख्या नहीं की जा सकती!जीवन परिचय की बात करें तो इनका जन्म लखनऊ के शिक्षित मध्यमवर्गीय परिवार में 9 दिसंबर 1929 को हुआ था! इनका शिक्षण क्षेत्र भी लखनऊ ही रहा, लखनऊ विश्वविद्यालय से इन्होंने अंग्रेजी साहित्य में M.A. की उपाधि प्राप्त की! लेखन कार्यकाल इनका इंटरमीडिएट से शुरू हो गया था! इनकी कविताएं पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी थी, परिचित कवि अज्ञेय से इनका काफी जुड़ाव रहा हैं! पेशे से कवि पत्रकार थे जिसकी छवि इनकी कविताओं में साफ साफ नज़र आती हैं!
कैमरे में बंद अपाहिज, कविता संग्रह 'लोग भूल गये हैं' से ली गयी हैं, इस कविता को ध्यान से पढ़िए, कितना तीक्षण प्रहार, व्यंगात्मक शैली के साथ वास्तविकता को पेश किया गया हैं! कविता को हम जितना जानते हैं आमतौर पर वो लयबद्ध, तुकबंद से जोड़कर देखते हैं पढ़ते हैं! चुकि रघुवीर सहाय नये कवि हैं उस समय कविता छंद के बंधन से मुक्त भाव प्रधान हो रही थी! लेकिन भाव, जो कि उनकी वैचारिकता पर प्रकाश डालते हैं और मन पर एक गहरी चाप छोड़ते हैं रघुवीर सहाय समय के साथ चलते हैं लेकिन आँख बंद करके नहीं जो कि आज की पीढ़ी को सबसे ज्यादा समझनी चाहिए, वो news media से संबंधित हैं लेकिन उसके अवदोषों को उजागर करने से व्यंग करने से नहीं चूकते ये विशेषता जो एक पत्रकार और कवि का प्रथम और विशेष गुण हैं, कविता को वैसे तो व्याख्या की जरूरत हैं नहीं, लेकिन आप चाहें तो गूगल पर पढ़ सकते हैं रघुवीर सहाय की और भी कविताएं पढ़िए और जानिए उन्हें!