...

61 views

" उसकी नज़र"
ये कहानी एक काल्पनिक कहानी है , एक छोटे से गाँव मे एक लड़का रहता था।

जिसका नाम शीवा था , ये उसकी पहले प्यार की पहली नज़र की एक छोटी सी कहानी है।
ओर ये कहानी मै शीवा ही बनकर सुना रहा हूँ, कहानी सुरु करते है।

ये उस दिन की बात है जब मै ,गाँव की एक छोटी सी दुकान के पास बैठा था।

वो मेरे एक मित्र की दुकान थी, जहाँ पर मे अक्सर उससे बाते करने के लिए बैठा करता था।
उस दिन भी मे वैसे ही बैठा हुआ था, जैसे कि मै हर रोज बैठा करता था।

एक कुर्सी पर, और मुझे याद है उस दिन बहुत ही सुहाना मौसम था।

और शाम के पाँच बजे थे। और मे अपने मित्र से बाते कर रहा था , और वो अपने ग्राहको को सामान देते हुए मुझसे बाते कर रहा था।

हम दोनो किसी ऐसी बात को लेकर हस रहे थे , जो मै बता नही सकता।

ऐसे ही अचानक से मेरे मित्र के छोटे भाई ने मुझे आवाज दी, वो मेरे ठीक पीछे था ।

और जैसे ही मैने पीछे देखा तो वो मुझे कह रहा था , भाई तुम्हारे घर से बुलावा आया है।
मेने उसे जवाब मैे , कहा की मे आ रहा हूँ, तुम चलो। बस मे इतना कहकर, जैसे ही दुबारा दुसरी तरफ मुड़ा तो देखा कि सामने से एक लड़की आ रही थी।

मैनें उस पर खास ध्यान नही दिया क्योंकि वो मुझसे काफी दूर थी, मै अपने मित्र से कुछ कह रहा था।

कि मेरी नज़र दुबारा उस लड़की पर चली गई, पहली दफा ऐसा लगा की जैसे ज़िन्दगी मै आज तक इतनी मन को खुशी नही हुई जितनी उसे देखकर हुई।

उसके वो लिवाज़ चलने का तरीका , सब कुछ इतना अलग था ।

कि ऐसा लग रहा , आज तक मैने इतनी हसीन और खुबशूरत लड़की शायद ही देखी हो।

उसे लाल सूट और काली सलवार पेहनी हुई थी,
जो कि उस शाम के जैसी सुहानी लग रही थी। उसने होंटो पर लाल रंग की सुर्की लगाई हुई थी,

मै उसे देखकर बिल्कुल खामोश सा हो गया ,लेकिन मेरा दिल चिल्ला -चिल्ला कर कह रहा था।
या खुदा ये क्या है , ये हक़िक़त है। या कोई सपना, ना जाने जो है पर बहुत खूबशुरत है। जितना वो करीब आती जा रही ,उतनी ही तेजी से दिल की धड़कन्ने बढ़ती जा रही थी।

जैसे ही उसने मुझे देखा तो , वो मुस्कुराई और अपने होंटो को एक दुसरे होंटो से जैसे गले मिला रही हो।
और आँखो को एक पल के लिए उठा कर झुका लिया , मै उसके ऐसा करते ही एक पल के लिए थम सा गया।

और जैसे ही वो मेरे करीब से निकली ऐसा लगा जैसे की किसी ने ईंत्र से भरी हुई शिशी को चारो तरफ मेहका दिया हो ।

जैसे ही वो मुझसे थोड़ी सी आगे जा कर , वापस पिछे मुड़कर मुस्कुराई तो और उसकी आँखो ने मुझे कुछ कहा।

और मै बस उसी दिशा मै , देखता रहा । और मुझे उसे प्यार हो गया वो कहते हैना , पहली ऩजर वाला पहला प्यार वही हुआ था मुझे।

लेकिन उसके बाद वो मुझे कभी वापस वहाँ दिखाई नही दि मैने सब से पता किया कि, वो कौन थी कहाँ से आई थी उसका नाम क्या था।

बस इतना पता चला की वो कोई दूर कि मेहमान थी,
अब भी मै वहीं रोज बैठा करता हुँ।
© SK BHARAT