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पापा ने चलना सिखाया मुझको
पापा ने चलना सिखाया मुझको:- उंगली पकड़कर चलना सिखाया है आपने, अपनी नींद देकर चैन से सुलाया है आपने, ( डॉ. श्वेता सिंह) अपने आंसू छिपाकर हंसाया है आपने, कोई दुःख ना देना मेरे खुदा कभी उनको, ले लेना जान मेरी जो कभी रुलाया हो उनको मैंने। हर हाल में सम्भल ते हुए देखा है मैंने आपको, हां मैंने हर हालात से पापा को लड़ते देखा है। मायूसी को ना चेहरे पे देखा है कभी। मैंने हर हालात में पापा को खुश जरूर देखा है। मैंने हमेशा उनकी जिंदादिली को देखा है। हमेशा उनकी सही सोच को पाया मैंने। पापा में सच्चे इंसान को देखा है। उनमें खुदा की खुदाई को रूबरू देखा है। उन्होंने हर हालात से लड़ना सिखाया है मुझको इस रंगीन दुनिया को देखने का मौका दिया मुझको। खुदा से हमेशा आपकी खुशियों को मांगा, बस आपके चेहरे की हंसी कभी गुम ना हो। आपका मुस्कुराता चेहरा मेरे हौंसल को मजबूत बनाता है पापा। आपने हमेशा आगे बढ़ना सिखाया है पापा। क्या आपके इस एहसान का कर्ज कभी चुका पाऊंगी मैं? पापा ही एक ऐसे शक्स है जिसने मुझे हमेशा खुशियां ही दी, इस दुनियां को जीना है सिखाया है आपने। आपके साथ बिताया हर एक लम्हा यादगार है पापा। पापा आप है तो मैं हूं वरना मेरा क्या वजूद। बहुत खुश नसीब हूं मैं की आप मेरे पिता है। बस दुआ है मेरी की हर जन्म में आपकी बेटी बनकर जन्म लूं। पापा ने की मेरी हर गलतियों को माफ वरना कहा है नसीब में इतना सुख। शादी के बाद तो हर बात बात पर सुनाया है जाता। पापा ने कभी बोझ ना समझा मुझको, तभी उनके दिलों में राज है किया। जाने क्यों बोलते है बेटियों को बोझ मेरे पापा ने तो मुझे हमेशा अपनी परी है समझा। जिस घर में बेटियां पैदा होती है उस घर का पिता राजा होता है क्योंकि परियां पालने की औकात हर किसी में नहीं होती। पाला ऐसे दुलारी को जैसे हो आंखों की पलक, इसलिए कहलाते है हर पिता जनक।(डॉ. श्वेता सिंह) dr.shweta_singh
© Dr.Shweta Singh