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पापा ने चलना सिखाया मुझको
पापा ने चलना सिखाया मुझको:- उंगली पकड़कर चलना सिखाया है आपने, अपनी नींद देकर चैन से सुलाया है आपने, ( डॉ. श्वेता सिंह) अपने आंसू छिपाकर हंसाया है आपने, कोई दुःख ना देना मेरे खुदा कभी उनको, ले लेना जान मेरी जो कभी रुलाया हो उनको मैंने। हर हाल में सम्भल ते हुए देखा है मैंने आपको, हां मैंने हर हालात से पापा को लड़ते देखा है। मायूसी को ना चेहरे पे देखा है कभी। मैंने हर हालात में पापा को खुश जरूर देखा...