...

13 views

कर्म
" सुनो मेरे पास पैसा नहीं है
और दफा हो जाओ यहाँ से "
मेरा दोस्त ने उस बूढ़े को गुस्से में चिलाकर निकलने लगा और मुझे भी जल्दी आने को कहा।
हमारी ट्रैन अभी दस मिनट में निकल जायेगी।
हम दोनों रेलवे स्टेशन के बाहर थे।
लेकिन मैंने कुछ पल उस बूढ़े को देखा । मैंने उसे मदद करने को चाहा और उसको मेरे पॉकेट से एक सौ रुपए का नोट दिया।
फिर मैं और दोस्त हामरे ट्रैन की और जाने लगे।
फिर मेरा दोस्त मुझसे पूछा कि तुम क्यों उस बूढ़े को पैसा दिया । तुझे क्या पता पैसा को लेकर वह क्या करेगा । सिर्फ आधा गिलास दारू पीकर सो जाएगा।
मैंने ऐसे कई लोगों को देखा है। कुछ काम नहीं बहुत नाटक करते हैं। इसलिए मैं किसी को भी पैसा नहीं देता हूँ।
फिर मैंने अपने दोस्त को अच्छे से समझाया।
देख भाई मुझे पता नहीं पैसा को लेकर वो क्या करेगा। और मुझे यह भी पता नहीं उसको असली में पैसा की जरूरत है या नहीं।
मैंने सिर्फ अपना कर्म किया।
जो भी व्यक्ति हमारे पास मदद मांगने के लिये आते हैं हम उनको शंका के बिना मदद करना चाहिए।
यह एक अच्छा धर्म होता है । और उस पैसा को वह क्या करेगा ये तो उसका कर्म है। आज मैंने एक पुण्य काम किया है । बस मुझे यह काफी है।

© prashanth K