चिखती रात
शाम होने को आई थी सभी फेरी वाले शहर से सामान बेचकर वापस गाँव की तरफ घर आने के लिए लौटना शुरू कर दिए थे। उनमें से एक फेरी वाला जिसका नाम शिवाराम था वो अपनी साईकिल जंगल की ओर मोड़ लेता है। उसका एक साथी जिसका नाम प्रकाश था जो शिवाराम को जंगल की तरफ नहीं जाने के लिए हिदायत देता है। प्रकाश जोर से चिल्लाकर बोलता है कि इस समय जंगल भूखे होते हैं, जो भी जाता है वापस नहीं आता। लेकिन शिवाराम भी अपनी ही धुन में मग्न था वो प्रकाश को कुछ पीने का इशारा करते हुए जंगल की तरफ जाने वाले कच्चे रास्ते पर चला जाता है। उस इशारे को देखते ही प्रकाश खुश हो जाता है और वो भी अपनी साईकिल शिवाराम के पीछे लगा देता है। प्रकाश जोर से चिल्लाकर शिवाराम को साईकिल की गति धीमी करने के लिए बोलता है। थोड़ी देर बाद वो दोनों घने जंगल के अंदर पहुँच जाते हैं। जंगल का रास्ता उबड़ खाबड़ था इसलिए दोनों पैदल साईकिल पकड़कर चलने लगते हैं। जंगल में घना अँधेरा होने के कारण शिवाराम थैले से टाॅर्च निकालकर चालू कर लेता है। प्रकाश की हालत जंगल से आती आवाजों से पतली हो रही होती है। फिर प्रकाश बोलता है "सुना, सुना तुमने। ये भूखा जंगल हमें देखकर जोर जोर से हँस रहा है और खुश हो रहा है कि आज उसे बिना किसी मेहनत के भोजन मिल गया।” शिवाराम पलटकर जवाब देता है, "हाँ ये आज तुमको खाने वाला है। इससे पहले कि ये जंगल तुमको खा जाए, मैं तुम्हें कुछ पिलाता हूँ।" शिवाराम रूककर अपनी साईकिल स्टैंड पर लगाता है फिर अपने थैले से शराब की बोतल निकालता है। प्रकाश बोतल देखकर खुश हो जाता है, "चलो कुछ तो अच्छा किया तुमने, कम से कम शिकार होने से पहले होश तो नहीं रहेगा और बेहोशी में मरने से किसे डर लगता है।" शिवाराम पहले तो कुछ नहीं बोलता है फिर अचानक प्रकाश को आँख बंद करने के लिए बोलता है। प्रकाश आँख बंद करने के लिए मना कर देता है। फिर शिवाराम शराब की बोतल खोलकर एक घूँट पी लेता है। उतने में प्रकाश बोल पड़ता है, "अरे भाई पूरी बोतल अकेले ही पी जाने वाले हो क्या, इस समय इसे पीने की सबसे ज्यादा जरूरत मुझे है।" शिवाराम बोतल प्रकाश को पकड़ा देता है। बोतल पकड़ते ही प्रकाश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है जैसे उसे जन्नत का रास्ता मिल गया हो। प्रकाश आँख बंद करके बोतल से शराब पीने लगता है। तभी शिवाराम बोल पड़ता है, "जब मेरे कहने पर आँख बंद नहीं करी और अब बिना कहे आँख बंद कर रहे हो।" शिवाराम प्रकाश के हाथ से बोतल वापस ले लेता है और प्रकाश को दोबारा आँख बंद करने के लिए बोलता है। प्रकाश हँसते हँसते शिवाराम को जवाब देता है, "हाँ, पता है मुझे। मेरी आँखें बंद करवाकर एक साथ पूरी बोतल गटक जाना चाहते हो।" इस तरह दोनों बात करते करते शराब की बोतल खत्म कर देते हैं। शिवाराम प्रकाश के कंधे पर हाथ रखकर उसे बीड़ी जलाने के लिए बोलता है।...