खुशकिस्मत, “सास –बहू ”
"खुशकिस्मत.....
चालीस पार मोहन ने आखिर अपने आँफिस की सहकर्मी सुधा से शादी कर ही ली....सुधा जहां एक अनाथ लडकी थी अपने चाचा चाची के पास पली बडी वही दूसरी ओर मोहन की केवल माताजी है पिताजी का स्वर्गवास उसके छोटी उम्र मे ही हो गया था ....
सुधा ने आते ही घर का सारा काम बहुत अच्छे से संभाल लिया ....वह अपनी बीमार सासूमां का अच्छे से ख्याल रखती..... लेकिन शादी के बीते एक साल बाद उसने एक आदत बना ली थी वो अब अपनी सासूंमां के पास बैठकर कुछ नहीं खाती थी पहले तो दोनों सास-बहू साथ में ही खाना खाती थी.... सुधा की सास सुषमा जी पहले रसोई के काम में हाथ भी बंटवाती थी इसलिए उनको सब पता होता था कि रसोई में किस डब्बे में क्या रखा है लेकिन अब बीमारी के कारण वो रसोई में भी नही जा पाती थी....
मां जी.... ये लीजीए चाय-बिस्किट....
शाम को हाल में अपनी सास सुषमा जी को चाय-बिस्किट पकड़ाकर सुधा खुद थोड़ा...
चालीस पार मोहन ने आखिर अपने आँफिस की सहकर्मी सुधा से शादी कर ही ली....सुधा जहां एक अनाथ लडकी थी अपने चाचा चाची के पास पली बडी वही दूसरी ओर मोहन की केवल माताजी है पिताजी का स्वर्गवास उसके छोटी उम्र मे ही हो गया था ....
सुधा ने आते ही घर का सारा काम बहुत अच्छे से संभाल लिया ....वह अपनी बीमार सासूमां का अच्छे से ख्याल रखती..... लेकिन शादी के बीते एक साल बाद उसने एक आदत बना ली थी वो अब अपनी सासूंमां के पास बैठकर कुछ नहीं खाती थी पहले तो दोनों सास-बहू साथ में ही खाना खाती थी.... सुधा की सास सुषमा जी पहले रसोई के काम में हाथ भी बंटवाती थी इसलिए उनको सब पता होता था कि रसोई में किस डब्बे में क्या रखा है लेकिन अब बीमारी के कारण वो रसोई में भी नही जा पाती थी....
मां जी.... ये लीजीए चाय-बिस्किट....
शाम को हाल में अपनी सास सुषमा जी को चाय-बिस्किट पकड़ाकर सुधा खुद थोड़ा...