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अमरनाथ की मानसिक यात्रा
मानसिक मे हम कहीं की यात्रा करते हैं तो भी वैसा ही फील होता उसी पर आधारित धार्मिक मानसिक ये कहानी
ये कहानी पूर्णतः मानसिक पर आधारित है
जो जो लगता गया वो कलमबद्ध होती गयी कहानी


लोगों ने चलना शुरू करा
बस मन मे बाबा के दर्शन करने है यही विचार था
काफी भीड़ थी आगे
थोड़ी थोड़ी बारिश होने लगी
सभी तेज बारिश के पहले शिविर तक पहुंच जाना चाहते थे
तभी बारिश थोड़ी और तेज हुई
अब सबके साथ मैंने भी तेज चलने की ठानी अचानक मेरे पैर मे मोच आ गयी
पर पता नहीं कैसे मुझे दर्द का एहसास नहीं हो रहा था ये भोले बाबा की ही कृपा थी
जल्दी ही सब शिविर मे पहुंच गए
मेरे पैर पर नील जम गयी थी
किसी ने मेरा पैर देखा और आश्चर्य होकर पूछने लगे आपको मोच आयी है फिर आप आसानी से कैसे आए
मैंने कहा जब बुलाया बाबा ने है तो कृपा वही तो करेंगे उन्होंने ही मेरे दर्द ध्यान हटाया लगा ही नहीं की मुझे मोच आयी है
रात को सभी ने आराम करा सुबह चलना शुरू करा
हर हर महादेव और बोल बम कहते हुए आगे बढ़ने लगे
कपूर की व्यवस्था थी साथ ताकि साँस लेने मे दिक्कत हो तो काम आए

जब बाबा के दर्शन हुए अंदर ठण्ड का एहसास बाहर से अलग था ना ज्यादा ना कम
बाबा को हाथ जोड़े
धीरे धीरे बाकी भक्त भी दर्शन करने आने लगे

हर हर महादेव करते हुए वापस अपने शिविर मे आ गए

हर हर महादेव

समाप्त
2/2/2024
12: 30 प्रातः

© ©मैं और मेरे अहसास