बिका हुआ ज़मीर
सन्नाटा था। दूर कहीं झींगुरों की आवाज आ रही थी। अनुभव बस स्टैंड पे खड़ा, रात 11 बजे किसी गाड़ी का इंतजार कर रहा था। कोई गाड़ी नहीं आ रही थी। सन्नाटा काट सा रहा था। चांद की रौशनी जैसे दुख व हिंसा से लिप्त आत्माओं का आवाह्न कर रही थी।
अचानक से झींगुरों की कर्कश आवाज के बीच कुछ पायल जैसी झंकार सुनाई दी। सामने से घूंघट में, नया सा शादी का जोड़ा पहने, धीमी गति से आती एक लड़की।
हवा में कुछ अजीब सी सिहरन फैल गई थी। सन्नाटा सही रूप में छा गया। झींगुरो ने भी आवाज बंद कर दी। बस "छन छन" पायल की।
मोबाइल हाथ...
अचानक से झींगुरों की कर्कश आवाज के बीच कुछ पायल जैसी झंकार सुनाई दी। सामने से घूंघट में, नया सा शादी का जोड़ा पहने, धीमी गति से आती एक लड़की।
हवा में कुछ अजीब सी सिहरन फैल गई थी। सन्नाटा सही रूप में छा गया। झींगुरो ने भी आवाज बंद कर दी। बस "छन छन" पायल की।
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