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….चाँद अधूरा है
..चाँद अधूरा है

अभी उसने अपने लजरजते हुए होंठों को उसकी सर्द नाभि के उपर रखा ही था कि उसका रोम रोम जलने लगा।

उसकी उँगलियों के पोरों की छुअन से उसकी देह का इक इक रोम सिहर कर खडा होने लगा था…उसने एक उन्मुक्त सी सिहरती हुई सिसकारी ली और उसके हाथ को झटके से अपने जिस्म पर कसते हुए नीचे की ओर सरका दिया…मानो वो उसकी चाहत में किसी अनंत गहराई तक डूब जाना चाहती थी।

आज का चाँद उसकी हसरतों को परवान पर ले जाते हुए उसके जिस्म को ख़ालिस चाँदी सा चमका रहा था….रेत के धोरों पर अकेली पड़ी हुई वो ख़ुद ही ख़ुद को छूते हुए खो जाना चाहती थी उस अजनबी के ख़्वाबों में जिसे आज देखा था उसने अपनी ही होटल के अहाते से गुजरते हुए…..

हर बार की तरह आज फिर ये चाँद अधूरा था और उसकी हसरतें भी…..

#चाँद_अधूरा_है
© theglassmates_quote