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बूढ़ी अम्मा भाग १३
आज जब सौभ्य के पिता घर पहुँचे तब सौभ्य अपने
दफ्तर जाने की तैयारी में लगा हुआ था।
सौभ्य के पिताजी सौभ्य से ..बेटा आज पार्क में
कोयली से भेंट हुई।
सौभ्य ..पिताजी मुझे देर हो रही है।
आकर बात करता हूँ।
सौभ्य के पिताजी लगता है अब भी नाराज़ है।
आज जब सौभ्य दफ़्तर चला गया।
सौभ्य के पिताजी अपने नित कार्य निपटा के कोयली के घर पहुंच गए।
बेर वाली अम्मा उन्हें देखते ही बोली बाबूजी आप।
आईए आज कैसे आना हुआ।
सौभ्य के पिताजी मुझे आप लोगों को पहचानने में
बड़ी भारी भूल हो गई। मन ही मन
बुदबुदाने लगे दरअसल किसी की वेशभूषा से कभी
किसी का अंदाज़ा नहीं लगाना चाहिए।
बेर वाली अम्मा ..क्या आपने कुछ कहा।
सौभ्य के पिताजी कोयली घर पे नहीं है क्या।
बूढ़ी अम्मा ..वो किसी जरूरी काम से बाहर गई है।
तभी दरवाज़े पे दस्तख हुई।
कोयली को देखते ही अम्मा ..क्या पुलिस वाले मान
गए।
सौभ्य के पिताजी ...किस बात के लिए मान गए।
कोयली ...माँ आपने चाय नाश्ता नहीं करवाया बाबूजी को।
कोयली ने बात को नज़रअंदाज करने की कोशिश की।
सौभ्य के पिताजी...बेटा मैं चाय नाश्ता सब करके
आया हूँ।
पहले तुम ये बताओ तुम लोग क्या हुआ है आप लोग मुझसे क्या छिपा रहे हो।
कोयली ...असल में ये जमीं जिसपे हमने अपना घर
बनाया है वो सरकारी है।
सरकार ने हमें यहाँ से खाली करने का एक हफ्ते का नोटिस दिया है।
सौभ्य के पिताजी ..आप लोगों को जल्द से जल्द
खाली कर देना चाहिये।
वरना ये लोग बुलडोजर चला देंगे एक हफ़्ते बाद।
एक काम करो कु छ दिन के लिए मेरे घर चलो।
कोयली ...आपका बहुत बहुत धन्यवाद बाबूजी।
अब हम लोग आप लोगों को और परेशान नहीं करना चाहते।
सौभ्य के पिताजी . इसमें परेशानी कैसी।
कोयली . .आप लोगों के वैसे ही बहुत एहसान है, हम लोगों पर।
एहसान ...दरवाज़े से प्रवेश करते हुए सौभ्य ने कहा।
सौभ्य के पिताजी ...सौभ्य तुम यहाँ।
© Manju Pandey Choubey