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राधे नाम की महिमा...✍️✍️
एक कुष्ठ रोगी अपने कुष्ठ रोग से
अत्यंत परेशान होकर किसी
की सलाह मानकर वृंदावन आ गया
वह सड़क के किनारे बैठा रहता और आने जाने वाले हर एक व्यक्ति से अपने कुष्ठ रोग का उपचार पूछता।
कोई कुछ दवाई बता कर
चला जाता तो कोई पूछ,
किंतु किसी उपाय से भी उसका
कुष्ठ रोग दूर ना होता।
एक बार एक बड़े सरल हृदय
के बाबा उधर से गुजरे।
उन्होंने उसकी दशा देखकर ,द्रवित होकर कहा-'तुम सारा दिन यहां बैठे तो रहते ही हो,
बस अपने मुख से हर समय
"श्री राधे- श्री राधे" का
उच्चारण कर लिया करो।'
अब उस कोढ़ी ने ऐसा ही किया,
वह हर समय "श्री राधे- श्री राधे" कहने लगा।
उसके घावों में बहुत पीड़ा होती थी, फिर भी हर समय करुण स्वर में "श्री राधे- श्री राधे" कहता ही रहता।
श्री कृष्ण ने बृज की गलियों
से गुजरते हुए उसकी करुण
वेदना पूर्ण आवाज सुनी-जो उस
समय भी "श्री राधे -श्री राधे" की
करुण गुहार लगा रहा था।
भगवान राधे उच्चारण सुनते
ही उस ओर भागे ।
कोढी के पास आकर श्रीकृष्ण
को ऐसा प्रतीत हुआ मानो वहां
कोढ़ी न होकर राधारानी बैठी हों ।
उन्होंने तुरंत उसे गले से लगा लिया
और स्वयं भी भाव विह्वल
होकर 'राधे- राधे' कहने लगे।
तभी पीछे से राधा रानी बोली-'प्रभु मैं तो इधर खड़ी हूं उधर नहीं।'
किंतु भगवान को तो कोढी में
ही राधा रानी दिख रही थी।
उन्होंने उसे ही कसकर पकड़े रखा
और राधे-राधे कहते रहे।
कुछ क्षण पश्चात जब प्रभु ने
आंखें खोली तो देखा की राधा रानी
तो सत्य में उनके पीछे ही खड़ी थी,
किंतु इतने ही क्षणों में भगवान की कृपा और स्पर्श मिलने से कोढी भला चंगा और पूर्णत: स्वस्थ हो चुका था।

🫵सीख🫵

जब पूर्ण श्रद्धा से कोई कार्य करते हैं तो सफलता जरूर मिलती है, भले ही वह
किसी का नाम ही जपना क्यों ना हो।
जब हम अपने इष्ट देव को पूरी
श्रद्धा और विश्वास के साथ
पुकारते हैं तो वो जरूर आते हैं।।

🙏जय श्री राधे राधे 🙏



© Shaayar Satya