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सिल्क हाउस –5
जैसे ही दिव्या और आर्यन सालो से बंद पड़े सिल्क हाउस मैं अंदर गए तभी अचानक से सारी लाइट्स चलने लगी और बिना किसी हवा या धक्के के बरामदे मैं पड़ा झूला हिलने लगा।

झूले की चर चर की आवाज के पीछे पीछे जैसे ही वह झूले तक पहुंचे तो रोशनी झूले पर बैठी झूल रही थी। दिव्या ने जैसे ही रोशनी को दबी सी आवाज मैं पुकारा तो वो ज़ोर ज़ोर से हसने लगी ।

लगता है वो काला साया पूरी तरह से इसपर हावी हो गया है, आर्यन ने दिव्या को रोकते हुए कहा।

पर दिव्या आर्यन की बात अनसुनी कर के आगे बढ़ने लगी। पर वो काली शक्ति उसको रोशनी के पास भी नहीं जाने दे रही थी । जैसे ही दिव्या आगे बढ़ती वह उसको उठा कर वापिस फेंक देती। दिव्या के सिर से खून बह रहा था पर वो लगा तार कोशिश करे ही जा रही थी ।

तो तू हार नही मानेगी, रोशनी ने हस्ते हुए कहा।

रोशनी को छोड़ ने मंदाकिनी, उसका कोई कसूर नहीं है, दिव्या ने खड़े होते हुए कहा।

उसके ऐसा कहते ही झूला रुक गया, तो तुझे मैं अभी तक याद हु वैसे मंदाकिनी भूलने वाली चीज है ही नही। हां तूने सच कहा इसका कोई कसूर नहीं है यह तो मासूम है पर क्या करू मुझे भी तो शरीर चाहिए और इससे बेहतर शरीर कहा मिलेगा मुझे ।

इतना कहते ही सारी लाइट्स अचानक से बंद हो गई और चारो तरफ फिर से अंधेरा छा गया।

अब यह कोनसा खेल खेल रही हो तुम हमारे साथ , आर्यन ने चिलाते हुए पूछा।

तभी लाइट्स ऑन हो गई, क्या हुआ बस इतने मैं ही डर गया मशहूर तांत्रिक राघव का इकलौता बेटा।

तभी जोर जोर से घंटी बजने लगी और एक बार फिर से दरवाजा खुला और पीले कपड़े पहने हुए कुछ लोग अंदर आने लगे । आते ही उन्होंने रोशनी को घेर लिया फिर अंत मैं दो साधु अंदर आए जिनमें से एक था राघव पंडित और दूसरा था देवांश सहाय।

तभी ऊंची आवाज मैं राघव ने अंदर आते हुए कहा, बच्चो से क्या खेलती है दुष्ट आत्मा अगर दम है तो हमसे मुकाबला कर ।

अरे देखो तो कोन आए है मशहूर तांत्रिक जिनके नाम से भूत डरके भाग जाते है। और तुमने मुझे क्या कहा दुष्ट अरे पहले अपने अंदर तो देख लो तुम दोनो ने कितने पाप किए है अपनी ज़िंदगी मैं ।

हमारा ध्यान भटकाने की कोशिश मत कर कोई फायदा नही , ऐसा कहते हुए देवांश ने सिंदूर से एक गोला बनाया और बाकी लोगो को इशारा किया की रोशनी को इस गोले में लाने का ।

एक एक करके सारे साधु रोशनी की तरफ बढ़ने लगे पर मंदाकिनी सभी को एक एक कर के मारने लगी सारी लाइट्स बुझ गई और अंधेरा छा गया और जब तक लाइट्स आई तब तक सभी साधु घायल हुए जमीन पर पड़े थे ।

दिव्या ने एक पल के लिए अपनी आंखे बंद की और सोचने लगी हर उस एक पल के बारे मैं जो उसने रोशनी को ना बचा पाने के अफसोस मैं काटे थे । फिर उसने अपनी आंखे खोली और लंगड़ाते हुए रोशनी की तरफ बढ़ने लगी और उसने उसे पीछे से जाकर उसे पकड़ लिया।

मदाकिनी अपनी पूरी पूरी कोशिश करने लगी पर आर्यन भी दिव्या के साथ लग गया और वो दोनो किसी न किसी तरीके से रोशनी को खीच कर इस गोले मैं ले आए ।



आगे जाने के लिए पढ़ते रहें "सिल्क हाउस".


© khushpreet kaur