Depression ,What is It ? What is reason behind it ?
Depression
What is it ?
What is the reason behind it ?
अवसाद ,निराशा ,खिन्नता
वास्तव में ये है क्या ?
इसके वाज़िब कारण ,
उपाय इलाज ,कैसे बचें स्वयं और औरों को बचाएं।
क्या इससे बच पाना मुमकिन नहीं है ,
आओ कारण को पहचानें हम ,
कारण-निदान प्रक्रिया से होकर,
स्वयं को पहचाने हम।
जब जब भी आहत होता हूँ,
मुझे दुःख होता है, लाजिमी है ये
वो तो एक लड़की है ,
कितना कुछ सुनना पड़ता है, कितना कुछ सहना पड़ता है,
फिर भी देखो , बेचारी मृदुला खुश रहती है ,
जब भी होती है बात उससे ,
Mobile से phone पर,
कहती है हाँ ठीक हूँ मैं, खुश हूँ मैं,
कैसे मान लूँ मैं ,उसकी बातें ये सब,
यहाँ ज़िन्दगी तो मैं भी जी रहा है,
मैं सड़क पर पड़ा कोई पत्थर नहीं ,
पर ठोकरें रोज लगती हैं, किसी न किसी बहाने से,
कभी जानबूझकर , तो कभी अनजाने से,
मुझे आहत करने वाले, कोई पराए नहीं ,
मैं अश्कों को शब्दों में लिखकर ,
आप आँसू पोंछ लेता हूँ ,
बहुत उदास हो जाता हूँ, अपने साथ बर्ताव को लेकर,
लेकिन फिर शान्त, स्तब्ध बैठा रह जाता हूँ,
जब याद करता हूँ, उस लड़की की छवि को ,
मुझे पता है, जानता हूँ मैं,
लड़की जीवन बहुत कठिन है, बहुत कठिन है,
कितना सहती हैं बेचारी,
भला उनके आगे ,
क्या, आहत हुआ हूँ , क्या मेरी भावना बेचारी ,
मेरा तो वास्ता इनसे ( मन की उदासी , किसी की वजह से आहत )
वैसे कभी कभी ही होता है,
पर एक लड़की का तो राब्ता इनसे रोज का रहता है,
कितना मुश्किल होता होगा न,
ऐसे में खुद संभालना , अपने आसुंओं को आंखों में थामना,
लड़कियाँ कमजोर नहीं होतीं हैं ,
और रोती भी अपनी कमजोरी के कारण नहीं है,
बस रोती हैं तो अपने प्रति सही बर्ताव न होने की वजह से ,
अपनी भावनाओं के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण ,
खासकर जब ये प्रतिक्रिया उन्हें जब अपने ही घर में रहने वाले माननीय सदस्यों से प्राप्त होती है।
पता नहीं है, क्या सोंच रहती है लोगों की ( घर के बड़ो की )
सच कहूँ , वैसे कहना या लिखना बुरा लगता है, मेरा किरदार मुझे लिखने की इजाजत नहीं देता है,
लेकिन नम भावों के प्रति सहानुभूति यह कहती है कि लिखकर अपनी भड़ास (एक गुस्सा , शान्त गुस्सा ,जिसे जाहिर करना मुश्किल हो, आसान न हो, उम्र के कारण परिस्थितियों के कारण ,)
निकालना भी आवश्यक हो जाता है,
आज के परिवेश में ,
क्योंकि बहुत छोटी छोटी बातें ही आज कल Depression ( अवसाद) जैसी ,नकारात्मक ऋणात्मक मानसिक अवस्था के जनन / प्रेरण का कार्य करतीं हैं।
जब हर बात को अनसुना किया जाता है,
बिना सुने, बिना समझें ।
आजकल नए लड़के / लड़कियाँ ज्यादातर Depression के शिकार इसीलिए पाए जातें हैं , क्योंकि उनको कहने का मौका ही नहीं मिलता है, और यह अधिकार उसको ,उसके निकट सम्बन्धी, मित्रजन, परिवार ये ही दे सकता है, जो कि नहीं देतें हैं।
कारण तमाम हैं ।
जो व्यक्ति खुश रहता है ,और जो व्यक्ति नाखुश रहता है, परेशान रहता है, मानसिक अवसाद की स्थिति यानी Depression में रहता है,
इन दोनों ही Version के Products (आदमी ) में बहुत अन्तर थोड़ा...
What is it ?
What is the reason behind it ?
अवसाद ,निराशा ,खिन्नता
वास्तव में ये है क्या ?
इसके वाज़िब कारण ,
उपाय इलाज ,कैसे बचें स्वयं और औरों को बचाएं।
क्या इससे बच पाना मुमकिन नहीं है ,
आओ कारण को पहचानें हम ,
कारण-निदान प्रक्रिया से होकर,
स्वयं को पहचाने हम।
जब जब भी आहत होता हूँ,
मुझे दुःख होता है, लाजिमी है ये
वो तो एक लड़की है ,
कितना कुछ सुनना पड़ता है, कितना कुछ सहना पड़ता है,
फिर भी देखो , बेचारी मृदुला खुश रहती है ,
जब भी होती है बात उससे ,
Mobile से phone पर,
कहती है हाँ ठीक हूँ मैं, खुश हूँ मैं,
कैसे मान लूँ मैं ,उसकी बातें ये सब,
यहाँ ज़िन्दगी तो मैं भी जी रहा है,
मैं सड़क पर पड़ा कोई पत्थर नहीं ,
पर ठोकरें रोज लगती हैं, किसी न किसी बहाने से,
कभी जानबूझकर , तो कभी अनजाने से,
मुझे आहत करने वाले, कोई पराए नहीं ,
मैं अश्कों को शब्दों में लिखकर ,
आप आँसू पोंछ लेता हूँ ,
बहुत उदास हो जाता हूँ, अपने साथ बर्ताव को लेकर,
लेकिन फिर शान्त, स्तब्ध बैठा रह जाता हूँ,
जब याद करता हूँ, उस लड़की की छवि को ,
मुझे पता है, जानता हूँ मैं,
लड़की जीवन बहुत कठिन है, बहुत कठिन है,
कितना सहती हैं बेचारी,
भला उनके आगे ,
क्या, आहत हुआ हूँ , क्या मेरी भावना बेचारी ,
मेरा तो वास्ता इनसे ( मन की उदासी , किसी की वजह से आहत )
वैसे कभी कभी ही होता है,
पर एक लड़की का तो राब्ता इनसे रोज का रहता है,
कितना मुश्किल होता होगा न,
ऐसे में खुद संभालना , अपने आसुंओं को आंखों में थामना,
लड़कियाँ कमजोर नहीं होतीं हैं ,
और रोती भी अपनी कमजोरी के कारण नहीं है,
बस रोती हैं तो अपने प्रति सही बर्ताव न होने की वजह से ,
अपनी भावनाओं के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण ,
खासकर जब ये प्रतिक्रिया उन्हें जब अपने ही घर में रहने वाले माननीय सदस्यों से प्राप्त होती है।
पता नहीं है, क्या सोंच रहती है लोगों की ( घर के बड़ो की )
सच कहूँ , वैसे कहना या लिखना बुरा लगता है, मेरा किरदार मुझे लिखने की इजाजत नहीं देता है,
लेकिन नम भावों के प्रति सहानुभूति यह कहती है कि लिखकर अपनी भड़ास (एक गुस्सा , शान्त गुस्सा ,जिसे जाहिर करना मुश्किल हो, आसान न हो, उम्र के कारण परिस्थितियों के कारण ,)
निकालना भी आवश्यक हो जाता है,
आज के परिवेश में ,
क्योंकि बहुत छोटी छोटी बातें ही आज कल Depression ( अवसाद) जैसी ,नकारात्मक ऋणात्मक मानसिक अवस्था के जनन / प्रेरण का कार्य करतीं हैं।
जब हर बात को अनसुना किया जाता है,
बिना सुने, बिना समझें ।
आजकल नए लड़के / लड़कियाँ ज्यादातर Depression के शिकार इसीलिए पाए जातें हैं , क्योंकि उनको कहने का मौका ही नहीं मिलता है, और यह अधिकार उसको ,उसके निकट सम्बन्धी, मित्रजन, परिवार ये ही दे सकता है, जो कि नहीं देतें हैं।
कारण तमाम हैं ।
जो व्यक्ति खुश रहता है ,और जो व्यक्ति नाखुश रहता है, परेशान रहता है, मानसिक अवसाद की स्थिति यानी Depression में रहता है,
इन दोनों ही Version के Products (आदमी ) में बहुत अन्तर थोड़ा...