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कर्जों का विकास
**कर्जों का विकास**


केंद्र सरकार-
दोस्तों आजकल आपने देखा होगा
कि चुनावों के दौर में हमारे देश के जितने भी राजनीतिक दल सत्ता में है। वह अपने चुनाव जीतने के लिए हर वो अल्टू-पल्टू प्रयास कर रहे हैं जिससे कि उन्हें आगामी चुनाव में जीत मिल सके।

अब चुनाव का माहौल है और सरकारें जनता को लुभाने का हर झूठा प्रयास कर रही है।
आपको मालूम होगा कि केंद्र में एनडीए की भाजपा की सरकार है। उधर मोदी जी जनता को विकास की मोहर दिखाने के लिए करोड़ों-अरबो रुपयों का कर्ज ले चुके हैं।
पिछले वर्ष 2018 में वर्ल्ड बैंक से तकरीबन 8000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज लिया था। उसके अलावा विगत वर्षों में भी उसी वर्ल्ड बैंक से सरकार ने करोड़ों रुपए का कर्जा लिया है।
उसके अलावा बिजनेसमैन अंबानी,टाटा, अदानी आदि से भी सरकार ने करोड़ों-अरबों का कर्जा लिए हुए हैं। भारत सरकार ने अपने सारे बॉन्ड, अपनी सारी एसेट्स बेच डाली है। यहां तक की सरकार को कई बार आरबीआई से भी कर्ज लेना पड़ा है।कर्जों के चलते जितनी भी सारी उपक्रम है उन्हें भी बेचना पड़ा है।
जिनमें चाहे एयरइंडिया हो,भारत पेट्रोलियम हो, एलआईसी की हिस्सेदारी हो, रेलवे के टेंडर हो या रेलवे के सभी उपक्रम हो , सभी को पीपीपी मॉडल बेस्ड कर दिया है। अर्थात सभी को बेच दिया गया है। और सरकार मीडिया में यह बता रही है कि उन्होंने निजीकरण किया ही नहीं है। भारत सरकार के जितने भी इक्विटी शेयर्स हैं, जितने भी नेशनल-इंटरनेशनल उपक्रम उनसे भी अपनी हिस्सेदारी बेच दी है और मोदी सरकार ने जनता को लुभाने हेतु भारत के विकास की झूठी दरी बिछा दी है।

राजस्थान सरकार -
राजस्थान का रुख करें तो राजस्थान में भी यही हाल है। राजस्थान में जादूगर अर्थात गहलोत की सरकार है। हालांकि बहुत सारी योजनाएं चलाई हैं और जनता के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। किंतु क्या आपने सोचा है यह सब योजनाओं का पैसा कहां से आता है? यह सब पैसा अब जनता की जेब से भरपाई हो रहा है। जिसमें चाहे राजस्थान सरकार हो या केंद्र की सरकार।हमारे राजस्थान में कोयलें और बिजली की बहुत बड़ी कमी है। और इसके लिए गहलोत सरकार ने उचित दर से ज्यादा रूपयों में कोयला खरीदा है जो कि हमारे लिए बड़ा नुकसान है। अब बात करे पक्षपाती रवैए की तो एक और कांग्रेस बिजनेसमैन अदानी व अंबानी को लेकर देश में जगह-जगह मुद्दा उठाती है। दूसरी और वही अड़ानी अंबानी से राजस्थान की कांग्रेस सरकार बिजनेस को लेकर करार करती है। क्या यह कांग्रेस का दोहरा रवैया है? ऐसे बहुत सारे सवाल खड़े होते हैं? किंतु पूंछें कौन?
और चुनाव नजदीकी दौर में है, और जनता को लुभाने में जादूगर भी पीछे नहीं है ‌। राजस्थान में भी उधारी का दौर चल पड़ा है।अपनी सरकार को फिर से चुनाव में जीताने के लिए जादूगर सरकारी कोष का सारा खजाना ठिकाने लगाने में लगे हुए हैं। हालांकि पिछली वसुंधरा सरकार में भी करोड़ों का कर्जा जनता के कंधों पर ढ़हाया गया था।

जीडीपी ग्रोथ -
भारत की जीडीपी की रिपोर्ट को लेकर क्राइसिस व मूडीज की रेटिंग लगातार गिरते हुई दिखाई दे रही है। किंतु सरकार उस पर पर्दा डाल कर अपने अच्छे प्रदर्शन को दिखा रही है।

देश एक और भुखमरी की और जा रहा है। और दूसरी और सरकारी मंदिरों का विकास को लेकर चिंतित है। क्योंकि मंदिरों के विकास से ही सरकारों को चंदा मिलता है।
सरकार ने मेक इन इंडिया या डवलप इंडिया, स्किल इंडिया जैसी योजनायें तो केवल नाम मात्र के लिए चलाई हुई है असलियत तो ये है कि सरकार ने डवलप टेम्प्ल , मेक बाई गवर्नमेंट टेम्प्ल , सेल बाई गवर्नमेंट जैसी योजनायें चला रखी है,क्यों?



© जितेन्द्र कुमार 'सरकार'