...

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मेरी कहानी....
कहानी लिखूं अपनी
तो शायद किरदार गलत लगूंगी मैं
मैं क्या हूँ क्या थी क्या हो चुकी हूँ
पर शायद ही अब कुछ बदल सकूँगी मैं
कठिन सफ़र था मेरा
मंज़िल भी आसान नहीं
जो मिला भी ऐसे
कि मिला नहीं उससे मेरे जज़्बात कोई
फ़िर भी उस उम्र से इस उम्र तक
निभा ली मैंने एक कड़ी ज़माने की
न जाने कितनी रातें कितने दिन
कितनी शामें
मैंने आसुंओ में पिरोई थी
ऐसे ही नहीं मैंने अपनी कहानी सँजोई थी
थक हार कर सोचा था मैंने भी
कि अब अलविदा किया जाए
कुछ रिश्ते जो बोझ बन चुके थे
उनसे रिहाई लिया जाए
पर ज़िंदगी को एक मौका दिया शायद
यही मैं गलत हो गई
कि अब जाना ज़िंदगी वाकिफ़ में
कभी किसी की तो कभी की हो गई
कल तक थी मेरी जब रो रही थी मैं
अब खुश हुई तो मुस्कुराहट
किसी के चेहरे से शुरू हुई
तो किसी के चेहरे पे खत्म हो गई
ये सिलसिला जो चल रहा है
सोचती हूँ
इसपे सवाल का मुझे कोई हक़ नहीं
मैंने दिए हैं इतने दुख उसे
कि अब उसकी खुशियों पे विराम लगा दूं
अब ये मेरा वक़्त नहीं
बहुत सह लिया था दर्द अपना
तब जाकर बहुत कुछ पाने की ख्वाइश आई थी
पर अब लगता है
मैं गलत थी
जो सामने था वो था नहीं
वो थी उसकी परछाई थी
अब कोई ज़बा नहीं है मेरे मुंह में
की किस तरह सवाल करूँ मैं
जिसे तन्हा छोड़ा है मैंने
आज उसकी खुशी में
फिर क्या गिला करूँ मैं
मुश्किल तो बहुत है
पर जीना तो पड़ेगा
यही शायद ज़िंदगी है
और अब जानकर ज़हर पीना तो पड़ेगा
अब मंज़र ये भी है
कि कोई नहीं होगा साथ मेरे
क्योंकि सबको लगता है
जो गलत हो रहा है
वो सही भी है मेरे लिए
तो मान लूँ फिर मैं
कि मैं गलत हूँ सबके लिए
गलत जान कर जिया कैसे जाता है
अब तक खबर तो नहीं
पर जानकर जीना पड़ेगा मुझे
जो ख़बर की तो शायद तन्हा भी हो जाऊंगी
जो अनजाने में मैं खुद पी रही हूँ ज़हर
फिर सबके हाथों से पिलाई जाऊंगी
मेरी कहानी का किरदार बस इतना ही है
कि शायद प्यार मेरे लिए नहीं है,,, नहीं,है,,, नहीं है......
© quotes_by_shiddat@insta