मेरी कहानी....
कहानी लिखूं अपनी
तो शायद किरदार गलत लगूंगी मैं
मैं क्या हूँ क्या थी क्या हो चुकी हूँ
पर शायद ही अब कुछ बदल सकूँगी मैं
कठिन सफ़र था मेरा
मंज़िल भी आसान नहीं
जो मिला भी ऐसे
कि मिला नहीं उससे मेरे जज़्बात कोई
फ़िर भी उस उम्र से इस उम्र तक
निभा ली मैंने एक कड़ी ज़माने की
न जाने कितनी रातें कितने दिन
कितनी शामें
मैंने आसुंओ में पिरोई थी
ऐसे ही नहीं मैंने अपनी कहानी सँजोई थी
थक हार कर सोचा था मैंने भी ...
तो शायद किरदार गलत लगूंगी मैं
मैं क्या हूँ क्या थी क्या हो चुकी हूँ
पर शायद ही अब कुछ बदल सकूँगी मैं
कठिन सफ़र था मेरा
मंज़िल भी आसान नहीं
जो मिला भी ऐसे
कि मिला नहीं उससे मेरे जज़्बात कोई
फ़िर भी उस उम्र से इस उम्र तक
निभा ली मैंने एक कड़ी ज़माने की
न जाने कितनी रातें कितने दिन
कितनी शामें
मैंने आसुंओ में पिरोई थी
ऐसे ही नहीं मैंने अपनी कहानी सँजोई थी
थक हार कर सोचा था मैंने भी ...