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शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस पर सभी गुरुजनों को समर्पित कुछ शब्द:

शब्दों को शब्दार्थ दिया,
भावों को भावार्थ दिया,,
हे गुरुवर तुमने जीवन को,
इक सांचे में आकार दिया,,

ज्ञान की बगिया मुरझाई,
अक्षर से पुष्प थे कुम्हलाए,,
तुमने हर अक्षर को सिंचित कर,
मुस्काने का अधिकार दिया,,

भावशून्य मन की सुचिता थी,
मस्तक का चिंतन भावशून्य,,
तुमने मस्तक को अंक लिया,
शैशव मन को आधार दिया,,

अंजुलि भर इक बूंद सा ज्ञानी,
तुमने सागर सा विस्तार दिया,,
हे गुरुवर पूज्य परमश्रेष्ठ,
तुमने जीवन को साकार किया,,

हर प्रश्न ,प्रश्न पे रुका हुआ था,
रुका हुआ तार्किक कौशल,,
जीवन दर्शन था रुका हुआ,
रुका हुआ माधव का मन,,
आखर आखर बिखरे पृष्ठों पे,
कोई अर्थ नहीं कोई सार नहीं,,
ज्ञान था सारा निस्सार बना,
जीवन मृगतृष्णा,कोई अर्थ नहीं,,

तुमने कुम्हार के चाक पे मुझको,
पिघला पिघला कर पीसा है,,
कंटक प्रसून की जड़ता को,
ज्ञान की बूंद से सींचा है,,

तुमने मुझको ये सिखलाया,
कि अर्थ में क्या भावार्थ में क्या,,
आखर आखर बिखरे पृष्ठों पे,
चिन्तन,कौशल,दर्शन क्या,,

हे उद्दीपत, गुरुवर परम पूज्य,
हम तुमको शीश नवाते हैं,,
तेरे चरणन की धूलि में,
जीवन को गर्वित पाते हैं,,
मस्तक पर मेरे हाथ धरो,
हे गुरुवर मेरे परम श्रेष्ठ,,
भव सागर से हमको पर करो,
हम हैं विनीत,याचक सदृश...
हम हैं विनीत याचक सदृश...!!
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