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हिम्मत और भरोसा
यह बात 2014 की है मुझे साइकिल चलाना अच्छा लगता था लेकिन मेरे पास साइकिल नहीं थी एक बड़ी साइकिल थी लेकिन मैं चला नहीं पाती थी फिर मैं सोची कि मैं यही साइकिल चला लूंगा फिर क्या था मैं साइकिल पहली बार ली थी मुझे उस समस्या कर पकड़ने भी नहीं आता था जब मैं पहले दिन साइकिल चलाना जा रही थी तो रास्ते मेरी बचपन की दोस्त जया मिल गई फिर हम दोनों गए हमारे गांव में एक फील्ड था लेकिन वह बहुत दूर था माता जी वहां हमें जाने नहीं देती थी फिर एक रोड पर गए फिर हम रोज शाम को जाने लगे 1 महीने में हमको बहुत चोट लगे लेकिन मैंने साइकिल सीखने के जोश में हम कुछ नहीं समझ पाए फिर से 6 महीने में मुझे बहुत छोटा इन लेकिन मैं कैची सीख ली थी मैं भगवान का पूजा की और साइकिल की भी पूजा की फिर उस दिन मैंने खा लिया था कि मैं आज से कल से कल ही घर जाऊंगी उस दिन मेरा साइकिल सीखने का 1 वर्ष पूरा होने का दिन आज ही था मैंने उस दिन अपने विश्वास को साइकिल सीखने गई उस दिन से मैं कभी भी भगवान पर विश्वास नहीं हटाती थी फिर बाद में 2 वर्ष तक वहीं सेटेलाइट मेरे दिन पर लेडीस साइकिल खरीदी गई फिर मैं स्कूल से आने लगी आने लगी मैं आने लगी जब मैंने साइकिल सीख ली तो मैं इतनी खुश थी कि मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था इसीलिए आप लोग भी भगवान पर सब कभी भरोसा मत हटाना शंकर जी के भक्त भगवान ने शक्ति होती है इसलिए लोग कहते हैं कि भगवान जो भी करता है अच्छे के लिए करता है कि हमें कभी भी हार नहीं मानना चाहिए