...

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तुम्हारी स्मृतियाँ... 💞💞❣️
तुम्हें देखता हूँ तो देखता ही रह जाता हूँ, तुम्हें सोचता हूँ तो सोचता ही रह जाता हूँ और जो तुम्हें लिखना चाहूँ तो समझ में नहीं आता कि शुरू कहाँ से करूँ ? तुम्हारे चेहरे में छुपी वो चाँदनी मेरे रोम-रोम को अपनी रोशनी से प्रकाशित कर देती है और मैं इस संसार से परे किसी और दुनिया में विचरण करने लगता हूँ, उस दुनिया में जहाँ बस 'हम' हैं| अकेले बैठे-बैठे ये मन कैसी सुन्दर-सुन्दर स्मृतियाँ पिरोता रहता है| ये तुम्हारी स्मृतियाँ भी कितनी अजीब हैं ना जब भी आती हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे बसंत की बहार आ गयी हो, जैसे फूल और कलियाँ लोगों के मन को मोह लेती हैं वैसे ही तुम्हारी स्मृतियाँ मेरे तन-मन को अपनी खुशबू से महका जाती हैं | तुम्हारी स्मृतियाँ हैं ही इतनी खूबसूरत कि अगर एक बार इसमें डूब जाता हूँ तो किनारे पर आने का मन ही नहीं करता | उस क्षण ये दिल पता है मुझसे क्या कहता है; ये दिल कहता है कि काश ये स्मृतियाँ न होकर हक़ीक़त होती...|
© ❤️J.C.❤️