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अर्जुन
भाग- 5
आश्रम की देख रेख करने वाली विनिता असमी को उसके कमरे तक ले गई। जहां पहले से ही एक सुंदर लड़की ईशा बिस्तर पर बैठी थी और दूसरी लड़की रीता सफाई कर रही थी।

अर्जुन के कमरे की तरह असमी का कमरा भी छोटा और खराब सा था। विनिता असमी को उसके कमरे में छोड़ के चली गई। काम कर रही रीता के मुंह पर एक दम से खुशी आ गई। उसने अपना साफ सफाई वाला कपड़ा फेका और असमी के पास जाकर खड़ी हो गई और उसे ध्यान से देखने लगी। उसने पूरे खुशी भरी आवाज में पूछा , तुम्हारा नाम क्या है ? और तुम कितने साल की हो ?

असमी चुप होकर खड़ी रही । उसने अपनी मुट्ठी जोर से बंद करली। उसकी आंखे आसू से भरी हुई थी।

कोई जवाब ना आने पर रीता ने असमी को हिलाकर पूछा, ओ बहन मैं तुझे बात कर रही हूं तेरा नाम क्या है।

ईशा यह सब कुछ पीछे से बैठी देख रही थी। उसने असमी को अपने पास बुलाया और एक रूमाल दिया आंसू पोछने के लिए। रीता भी असमी के पीछे पीछे आ गई और बोली ,पर मैंने तो इसको कुछ कहा ही नहीं तो फिर ये रो क्यों रही है।

ईशा ने रीता को घूरा और अपने साथ बाहर ले गई।

उधर दिव्या को जिराल के महल में बंधी बनाकर रखा गया था ।

उसे मोटी मोटी लोहे की जंजीरों से बांध रखा था । यहां रोज थोड़ी थोड़ी कर के उससे उसकी शक्तियां छीनी जाती थी। बेहोशी की हालत में भी वोह सिर्फ अपने बच्चो और अवदेष को याद कर रही थी।

बड़ी मां यानी देवलेखा , उनसे बचने में कामयाब हो गई पर अपनी शक्तियों का ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण वह बहुत कमजोर हो गई और जंगल में जाकर छुप गई।

अवदेश का हाल भी कुछ सही नही था। उसने जंगल का एक एक कोना छान मारा था पर उसको अर्जुन , असमी और दिव्या का कोई सुराग नहीं मिला था।

पर इस हालत में भी अवदेश अपना काम नहीं भुला था। वह रोज की तरह राज महल में पहुंचा। आज देवनग्री के महाराज देवानंद की बहन चित्रलेखा का विवाह था । सभी तैयारियां हो चुकी थी हर तरफ खुशी ही खुशी थी पर चित्रलेखा इस सभ से खुश नहीं थी क्योंकि वह किसी और से प्रेम करती थी और उसके साथ भागने वाली थी पर कुछ होता उससे पहले ही यह बात उसकी मां इंदरलेखा को पता चल गई और उन्होंने चित्रलेखा के प्रेमी को मरवा दिया।

जब यह सब चित्रलेखा को पता चला तो वह पागल हो गई और उसने अपनी ही शादी में यह ऐलान कर दिया की वह मां बनने वाली है। यह सुनते ही बरात वापस मुड़ गई।

जिस घर में खुशियां झूम रही थी वहा मायूसी छा गई। अवदेश भी यह सब देख रहा था। देवानंद इस सबसे इतना गुस्से था के उसने अपनी तलवार निकाल ली चित्रलेखा को मरने के लिए पर वो ऐसा कुछ करता इससे पहले ही उसके सौतेले भाई दृश्यम ने रोक लिया।

दृश्यम देवानंद और चित्रलेखा का सौतेला भाई है , इसकी मां एक महल में एक दासी थी इसलिए कोई भी इसकी इज्जत नहीं करता।

इंदरलेखा यह सब देखकर इनके पास आई और उसने दृश्यम को एक चांटा मारकर कहा, एक दासी के पुत्र की इतनी औकात नही की महाराज का हाथ पकड़े।

दृश्यम सबर का घूट पीकर चुप कर गया पर उसकी बीवी बृंदा और उसके बेटे रुद्रवीर की आंखो में गुस्सा साफ दिख रहा था।



अब आगे क्या होगा? क्या अवदेश दिव्या को बचा पाएगा ? और अर्जुन और असमी की जिंदगी आगे क्या मोड़ लेगी? देखने के लिए पढ़ते रहे "अर्जुन".






© khushpreet kaur