हर किसी को कभी ना कभी प्यार होता ही है,ऐसी ही एक कहानी प्रीति और अमित की है।
प्रीति और अमित एक ही स्कूल में पढ़ते थे। अमित 10वीं में था और प्रीति 9वीं में थी। वो दोनो एक दुसरे को पसंद करते थे लेकिन कभी किसी की हिम्मत नहीं हुई एक दूसरे को ये बोलने की, उन दोनों की आंखों में एक दूसरे के लिए प्यार साफ दिखता था। दोनों रोज़ स्कूल की असेम्बली के समय एक दूसरे को देखते थे और दोनों के चेहरे पर मुस्कान होती थी।
जब गार्मी की छुट्टियां चल रही थी और अमित को प्रीति की बहुत याद आ रही थी क्युकी अभी स्कूल भी बंद था और वो एक दूसरे को देख भी नही पाते थे और ना ही उनका घर कहीं एक दूसरे के आजू बाजू में था।
बहुत सोचते सोचते एक दिन अमित प्रीति को फेसबुक पर ढूंढने लागा, शायद उसका अकाउंट हो, स्कूल में उन दोनों ने कभी एक दूसरे से बात नही किया था, और ना ही कभी सोशल-मीडिया पर एक दूसरे को फॉलो करते थे, अब जो कि स्कूल बंद थे अमित खुद को रोक नहीं पाया, फेसबुक पर तो बहुत सी प्रीति नाम की लड़कियां मिली लेकिन जिस प्रीति को वो ढूंढ रहा था वो नहीं मिली। अमित बहुत उदास हो गया, वो बहुत बेचैन हो रहा था प्रीति को देखने के लिये, लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, उधर प्रीती भी अमित को देखने के लिए स्कूल खुलने का इंतजार कर रही थी, प्रीति 9वीं कक्षा में थी तो उसके घर वालो न उसे फोन नही दिया था तो वो किसी भी सोशल-मीडिया पर नहीं थी।
स्कूल खुलने के लिये अभी 15 दिन बाकी था। वो दोनो एक दूसरे को देखने के लिए बेचैन थे।
आखिर 15 दिन बाद स्कूल खुल गया दोनों स्कूल जाने के लिये बहुत उतसुक थे, अमित स्कूल समय के 10 मिनट पहेले ही जाकर स्कूल गेट के बाहर खड़ा हो कर प्रीति का इंतजार कर रहा था, सब बच्चे एक एक कर के स्कूल आ रहे थे लेकिन प्रीति अभी तक उसे नहीं दिखी, गेट पर खड़े चौकीदार ने कहा कि अंदर जाओ अब गेट बंद होने वाला है।
आखिर अमित क्या करता वो अंदर चला गया और अपने क्लास में बैग रख कर प्रार्थना के लीये असेंबली में गया, वो बहुत उदास था की प्रीति क्यों नही आई, आज स्कूल का पेहला दिन है, क्या हुआ होगा उसे, अमित का ध्यान प्रार्थना में बिलकुल भी नहीं था ।
जब प्रार्थना ख़तम हुअा और सभी बच्चे अपने अपने क्लास में जाने लगे तभी अमित ने देखा की प्रीती अपने क्लास के लाइन में सबसे पीछे खड़ी थी तो वो समझ गया कि प्रीति लेट आई होगी, अमित उसे देख कर बहोत खुश हो गया, अमित उस से बात करना चाहता था, एक बार ऐसा हुआ की अमित और प्रीति की नजर मिली दोनो के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, दोपहर में जब लंच टाइम हुआ तो अमित प्रीति से बात करने की कोशिश कर रहा था, इसी कारण उसने अपना टिफिन भी नहीं खाया था।
वो प्रीति के क्लास के बाहर ही चक्कर लगा रहा था की कब उसे मौका मिले प्रीति से बात करने का और वो उसे स्कूल के बाद रुकने के लिए बोल सके, तभी थोड़ी ही देर में प्रीति को क्लास से बाहर आते हुए देखा, वो अकेली थी, मौका देखते ही अमित ने प्रीति से कह दिया की स्कूल के बाद थोड़ी देर के लिये स्कूल के बाहर जो बस स्टॉप है वहा रुकना प्लीज! प्रीति उसे देख कर बोली ठीक है, और चली गई।
दोनों अपने क्लास में चले गए बस जल्दी से स्कूल का समय ख़तम होने का दोनों इंतजार कर रहे थे। प्रीति के मन में बहुत से प्रशन चल रहे थे "अमित क्या बोलेगा? मैं उस से क्या बात करूंगी?
स्कूल का समय ख़तम हुआ सभी बच्चे अपने घर जाने के लिये निकल गाये, प्रीति और अमित भी स्कूल से निकले और बस स्टॉप पर गये।
प्रीति जब वहा पहुंची तो अमित पहेले से ही वहां खाड़ा था।
प्रीति उसके पास गई और उस के बाजू में जाकर खड़ी हो गई, अमित का दिल बहुत ज़ोर से धड़कने लगा था, फिर अमित ने हिम्मत जूटा कर पूछा "तुम फेसबुक पर हो?" वो बोली "नहीं, मेरे पास फोन नहीं है" अमित ने पूछा "क्यों" तो प्रीति बोलीं "अभी मै 9वीं क्लास में हू और मेरे घर पर अभी फोन चलाना माना है" अमित बोला "ठीक है" फिर दोनों के बिच थोड़ी शांति थी, फिर अमित ने पूछा" आज तुम लेट क्यों आई स्कूल" प्रीति बोलीं "मेरी बस छूट गई थी मुझे देर हो गया" फिर प्रीति बोली "क्यों तुम मेरा इंताजार कर रहे थे?" अमित थोड़ा...
जब गार्मी की छुट्टियां चल रही थी और अमित को प्रीति की बहुत याद आ रही थी क्युकी अभी स्कूल भी बंद था और वो एक दूसरे को देख भी नही पाते थे और ना ही उनका घर कहीं एक दूसरे के आजू बाजू में था।
बहुत सोचते सोचते एक दिन अमित प्रीति को फेसबुक पर ढूंढने लागा, शायद उसका अकाउंट हो, स्कूल में उन दोनों ने कभी एक दूसरे से बात नही किया था, और ना ही कभी सोशल-मीडिया पर एक दूसरे को फॉलो करते थे, अब जो कि स्कूल बंद थे अमित खुद को रोक नहीं पाया, फेसबुक पर तो बहुत सी प्रीति नाम की लड़कियां मिली लेकिन जिस प्रीति को वो ढूंढ रहा था वो नहीं मिली। अमित बहुत उदास हो गया, वो बहुत बेचैन हो रहा था प्रीति को देखने के लिये, लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, उधर प्रीती भी अमित को देखने के लिए स्कूल खुलने का इंतजार कर रही थी, प्रीति 9वीं कक्षा में थी तो उसके घर वालो न उसे फोन नही दिया था तो वो किसी भी सोशल-मीडिया पर नहीं थी।
स्कूल खुलने के लिये अभी 15 दिन बाकी था। वो दोनो एक दूसरे को देखने के लिए बेचैन थे।
आखिर 15 दिन बाद स्कूल खुल गया दोनों स्कूल जाने के लिये बहुत उतसुक थे, अमित स्कूल समय के 10 मिनट पहेले ही जाकर स्कूल गेट के बाहर खड़ा हो कर प्रीति का इंतजार कर रहा था, सब बच्चे एक एक कर के स्कूल आ रहे थे लेकिन प्रीति अभी तक उसे नहीं दिखी, गेट पर खड़े चौकीदार ने कहा कि अंदर जाओ अब गेट बंद होने वाला है।
आखिर अमित क्या करता वो अंदर चला गया और अपने क्लास में बैग रख कर प्रार्थना के लीये असेंबली में गया, वो बहुत उदास था की प्रीति क्यों नही आई, आज स्कूल का पेहला दिन है, क्या हुआ होगा उसे, अमित का ध्यान प्रार्थना में बिलकुल भी नहीं था ।
जब प्रार्थना ख़तम हुअा और सभी बच्चे अपने अपने क्लास में जाने लगे तभी अमित ने देखा की प्रीती अपने क्लास के लाइन में सबसे पीछे खड़ी थी तो वो समझ गया कि प्रीति लेट आई होगी, अमित उसे देख कर बहोत खुश हो गया, अमित उस से बात करना चाहता था, एक बार ऐसा हुआ की अमित और प्रीति की नजर मिली दोनो के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, दोपहर में जब लंच टाइम हुआ तो अमित प्रीति से बात करने की कोशिश कर रहा था, इसी कारण उसने अपना टिफिन भी नहीं खाया था।
वो प्रीति के क्लास के बाहर ही चक्कर लगा रहा था की कब उसे मौका मिले प्रीति से बात करने का और वो उसे स्कूल के बाद रुकने के लिए बोल सके, तभी थोड़ी ही देर में प्रीति को क्लास से बाहर आते हुए देखा, वो अकेली थी, मौका देखते ही अमित ने प्रीति से कह दिया की स्कूल के बाद थोड़ी देर के लिये स्कूल के बाहर जो बस स्टॉप है वहा रुकना प्लीज! प्रीति उसे देख कर बोली ठीक है, और चली गई।
दोनों अपने क्लास में चले गए बस जल्दी से स्कूल का समय ख़तम होने का दोनों इंतजार कर रहे थे। प्रीति के मन में बहुत से प्रशन चल रहे थे "अमित क्या बोलेगा? मैं उस से क्या बात करूंगी?
स्कूल का समय ख़तम हुआ सभी बच्चे अपने घर जाने के लिये निकल गाये, प्रीति और अमित भी स्कूल से निकले और बस स्टॉप पर गये।
प्रीति जब वहा पहुंची तो अमित पहेले से ही वहां खाड़ा था।
प्रीति उसके पास गई और उस के बाजू में जाकर खड़ी हो गई, अमित का दिल बहुत ज़ोर से धड़कने लगा था, फिर अमित ने हिम्मत जूटा कर पूछा "तुम फेसबुक पर हो?" वो बोली "नहीं, मेरे पास फोन नहीं है" अमित ने पूछा "क्यों" तो प्रीति बोलीं "अभी मै 9वीं क्लास में हू और मेरे घर पर अभी फोन चलाना माना है" अमित बोला "ठीक है" फिर दोनों के बिच थोड़ी शांति थी, फिर अमित ने पूछा" आज तुम लेट क्यों आई स्कूल" प्रीति बोलीं "मेरी बस छूट गई थी मुझे देर हो गया" फिर प्रीति बोली "क्यों तुम मेरा इंताजार कर रहे थे?" अमित थोड़ा...