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Chapter 4 नागराज का पत्र मोहन लाल के नाम. 💫

नागराज के पास अगले 24 घंटे ही बचे थे। क्योंकि 24 घंटों के बाद वह अब अगले 18 साल तक केवल सांप के रूप में ही रहेंगे। नागराज को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह बहुत परेशान हो गए और अपना सर पकड़ कर बैठ गए। नागराज अपने मित्र को इस बारे में बताना चाहते थे लेकिन मोहन लाल अभी कुछ दिनों के लिए बाहर गए थे तो नागराज के पास कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। तभी नागराज की नजर सामने एक किताब पर पड़ी जिसके अंदर नागराज के पूर्वज और उनके वंश में आगे होने वाली कुछ बातें लिखी हुई थीं। नागराज ने वह किताब उठाई और अपने पास रख ली। फिर उनके मन में विचार आया कि अगर वह कुछ कर सकते हैं तो केवल यही कि वह मोहनलाल को सारी बातें की जानकारी एक पत्र के माध्यम से दे सकते हैं। 💫💫💕

नागराज दौड़कर एक नोटबुक और पेन लाया और लिखना शुरू कर दिया।💭💭

                         पत्र💕

  मोहनलाल के नाम  नागराज का पत्र .. 

प्रिय मोहनलाल🗯

मझे अफसोस है कि जब तुम मेरे सामने थे तो मैं तुम्हें अपने बारे में कुछ नहीं बता सका। मैं आपका दोस्त हूं पंडित जी लेकिन मैंने आपसे एक बहुत बड़ी बात छुपाई है। आज इस खत के जरिए मैं आपको वो सारी बातें बताने जा रहा हूं जिन पर यकीन करना आपके लिए बेहद मुश्किल होगा। दरअसल, मैं कोई इंसान नहीं बल्कि एक इच्छाधारी नाग हूं और इस मंदिर में पंडित बनकर रहता था। मुझे अपने रत्न ( नागमणी) की रक्षा के लिए अपने महल के बाहर मंदीर में रहना...