"आज़ाद देश का गुलाम (भाग-२ )
राहिल के चिल्लाकर पूछने के बावजूद जब दूसरी तरफ़ से कोई आवाज़ नहीं आई तो कुछ देर बाद राहिल भी असंमजस की स्थिति में सोचता हुआ सो गया। दूसरे दिन राहिल दिन भर व्यस्त रहा शाम को जब वो घर जा रहा था तो उसे भूख जोरों की लग रही थी सो वह एक ठेले से पकौड़ी खरीद कर खानें लगा अभी वो खा ही रहा था कि उसे एहसास हुआ जैसे कोई कह रहा हों " भारत माता की जय" राहिल सकपका सा गया और इधर-उधर देखने लगा मगर उसे कोई भी नहीं दिखाई दिया और वो पैसे देकर घर...