छल शह और मात💃
इस दुनिया में कुछ रिश्ते जरूरत के लिए निवाये जाते हैं और ये जब बात मुझे पता चली तब तक बहुत देर हो गई थी मैं उस वक्त गर्भवती हो चुकी थी और मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की अपनी जरुरत का बीज बो कर कही और जरुरत तलाशने लगता है इंसान शायद उसे आदत पड़ जाती है मुँह मारने की हा मैं कह सकती हूं वो वक्त मेरे लिए बहुत मुश्किल था किसी को बताती तो लोग क्या कहेंगे बदनामी का डर लग रहा था मैंने अमित को बहुत कॉल्स की मैसिज किये लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला मुझे लगने लगा था की उसका प्यार झूठा था और वह भी धोकेबाज़ था कुछ दिन तक बहुत सोचती रही की अपनी जान दे दू फिर मैंने सोचा अपने होने बाले बच्चे की मां भी तो खुद का ना सही मुझे नन्नी जान का तो ख्याल रखना होगा और इसिलिए उस रात मैं घर से निकल गई एक नोटबुक मैं ये लिख कर की कभी कभी हमारे लिए जो अक्सर होता है वो जरुरी नहीं की सही हो एक चाहत...