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अधूरी मुक्ति...
शिला अपने पति और दो बेटों, यश और आशु, के साथ एक पुराने और विशाल बंगले में रहने आई थी। यह बंगला बाहर से तो भव्य और आकर्षक था, पर अंदर कुछ अजीब-सा सन्नाटा पसरा रहता था। इस घर में कदम रखते ही, अजीबोगरीब घटनाएं शुरू हो गईं। ऐसा लगता मानो घर की हर दीवार किसी भूतकाल का बोझ ढो रही हो।

शिला का सबसे छोटा बेटा अनुज तीन साल पहले ही एक दुर्घटना में चल बसा था। परंतु इस नए घर में आने के बाद, शिला को ऐसा महसूस होने लगा था कि अनुज की आत्मा अब भी आसपास है। यह केवल उसका भ्रम था या सचमुच कुछ और, वह समझ नहीं पा रही थी।
एक रात, जब सब सो रहे थे, शिला को अचानक सीढ़ियों से छोटे-छोटे पैरों की आहट सुनाई दी। वह उठ बैठी, उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने मन को शांत करते हुए सोचा कि शायद यह सिर्फ उसका वहम है, परंतु आवाज़ स्पष्ट होती गई। यश और आशु तो अपने कमरे में गहरी नींद में थे, फिर ये कदमों की आहट किसकी थी?
शिला ने धीरे-धीरे कमरे...