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"बच्चा किसी का हो,आखिर है तो बच्चा ही न"
एक ढाबा पर एक छोटा सा लडका था ...जो ग्राहको को खाना खिला रहा था कोई ऎ छोटू कह कर बुलाता तो कोई ओए छोटू वो नन्ही सी जान ग्राहको के बीच जैसे उलझ कर रह गयी हो । यह सब मन को काट रहा था । मैने छोटू को "छोटू जी" कहकर अपनी तरफ बुलाया । वह भी प्यारी सी मुस्कान लिये मेरे पास आकर बोला , "साहब जी क्या खाओगे ? "मैने कहा , " साहब नही; भाईयाँ जी बोलो ! तब ही बताऊगाँ ।"

वो भी मुस्कुराया और आदर के साथ बोला, "भाईयाँ जी आप क्या खाओगे? "मैने खाना आर्डर किया और खाने लगा । छोटू जी के लिये अब मे ग्राहक से जैसे मेहमान बन चुका था । वो मेरी एक आवाज पर दौडा चला आता और प्यार से पूछता, "भाईयाँ जी और क्या लाये, खाना अच्छा तो लगा ना आपको??? "और मै कहता," हाँ छोटू जी ! आपके इस प्यार ने खाना और स्वादिष्ट कर दिया । "खाना खाने के बाद मैने बिल चुकाया और 100रू छोटू जी की हाथ पर रख, "कहा... ये तुम्हारे है, रख लो और मलिक से मत कहना । "वो खुश होकर बोला," जी भईया L "फिर मैने पुछा," क्या करोगो ये पैसो का । "वो खुशी से बोला," आज माँ के लिये चप्पल ले जाऊगाँ, 4 दिन से माँ के पास चप्पल नही है, नग्गे पैर ही चली जाती है साहब... लोग के यहाँ बर्तन माझने ।

"उसकी ये बात सुन मेरी आँखे भर आयी ।मैने पुछा, "घर पर कौन कौन है ।" तो बोला," माँ है, मै और छोटी बहन है, पापा भगवान के पास चले गये ।" मेरे पास कहने को अब कुछ नही रह गया था।मैने उसको कुछ पैसे और दिये और बोला,"आज आम ले जाना माँ के लिये और माँ के लिये अच्छी सी चप्पल लाकर देना और बहन और अपने लिये आईसक्रिम ले जाना और अगर माँ पुछे ...किस ने दिया तो कह देना पापा ने एक भइया को भेजा था, वो दे गये । "इतना सुन छोटू मुझसे लिपट गया और मैने भी उसको अपने सीने से लगा लिया । वास्तव में छोटू अपने घर का बडा निकला ।पढाई की उम्र मे घर का बोझ उठा रहा है ।

ऎसी ही ना जाने कितने ही छोटू आपको होटल , ढाबो या चाय की दुकान पर काम करते मिल जायेगे । आप सभी से इतना निवेदन है.... उनको नौकर की तरह ना बुलाये, थोडा प्यार से ।🙏🙏😐😐


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