सबसे खतरनाक व्यक्ति
जीवन के विभिन्न क्षेत्र में आपको ऐसा महसूस होता है कि हम निर्णय नहीं ले पा रहे हैं ऐसी परिस्थितियों में संभवत अनुभव की कमी या अनुभव की जरूरत होती है।
अनुभव वह संयुक्त प्रतिफल है जो व्यक्ति के सैद्धांतिक ज्ञान और प्रायोगिक सफलता का मिश्रण होता है । अपने जीवन के यथार्थ में उतरे हुए कम दृश्यावलोकन तथा उस पर चिंतन के अभाव में अनुभव नहीं हो पाता है। परंतु अनुभव ऐसी चीज है जिसे ध्यान में रखकर अगर भविष्य के पथ पर अग्रसर हुए जाएं तो सफलता निश्चित होती है।
वैसे तो हर व्यक्ति अपने आपको अनुभवी होने का दावा करता है परंतु जितनी अधिक सफलता मिलती है उतना ही वह सफल व्यक्ति अनुभवी कहलाने का हकदार होता है ।
अब प्रश्न है कि सफलता किसे कहते हैं ? तो मैं सफलता की यही परिभाषा दूंगा कि स्वनिर्मित पथ पर अग्रसर होते हुए किसी सुनिश्चित उद्देश्य की प्राप्ति कर लेना ही सफलता है।
उद्देश्य किसी व्यक्ति का कितना छोटा या कितना बड़ा है यह उस व्यक्ति के द्वारा नियत करने पर निर्भर करता है , परंतु छोटे उद्देश्य को भी अगर व्यक्ति प्राप्त कर लेता है तो उसे सफल कहा जाता है। हां , एक चीज ।सफलता का आवश्यक तत्व है कि उद्देश्य की प्राप्ति विभिन्न रास्ते या तरीके अपनाकर की जा सकती है परंतु उद्देश्य की प्राप्तिरूपी जो परिणाम है उससे पहले ही अगर पथ या रास्ता नियत हो जाए एवं उसी पथ पर बढ़ते हुए उस उद्देश्य की प्राप्ति हो तभी उसे सफलता कही जाती है , वरना बिना उद्देश्य नियत किए हुए भी किसी अच्छे परिणाम की प्राप्ति कभी-कभी हो जाती है परंतु यह सफलता नहीं है। उसी तरह विना पथ निर्धारित किए हुए अनजाने में किसी उद्देश्य तक पहुंच जाना भी सफलता नहीं है। एक तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु है: पथ निश्चित है उद्देश्य भी निश्चित है परंतु बीच में एक तीसरा तत्व है कि उद्देश्य के नियतिकरण से पहले ही उस पथ को पूर्व निर्धारित कर दिया जाए।
ऐसा इसलिए है कि आदि और अंत दो बिंदु अर्थात हेतु और परिणाम सदा निश्चित तथा सहगामी माने जाते हैं परंतु ज्ञानी व्यक्ति इससे अधिक महत्वपूर्ण उसके बीच वाले पथ को मानते हैं जिसके तनिक भी विचलित होने से परिणाम बदल जाते हैं । अतः यदि कोई भी व्यक्ति इतना परिपक्व हो कि वह हेतु परिणाम के साथ बीच की पथ प्रणाली ( यानी कार्य )को नियत कर देता हो तो उसे ही सफल या सफलतम व्यक्ति कहा जाता है क्योंकि हेतु भूत है पथ वर्तमान और फल या परिणाम भविष्य होता है। यदि कोई व्यक्ति वर्तमान की इतनी अवधारण करता है कि वह भविष्य को निश्चित करे तो उसे ही भविष्यवक्ता , दूरदर्शी , अंतर्यामी , ईश्वर , पराक्रमी न जाने किस किस नाम से लोग पुकारने लगते हैं...
अनुभव वह संयुक्त प्रतिफल है जो व्यक्ति के सैद्धांतिक ज्ञान और प्रायोगिक सफलता का मिश्रण होता है । अपने जीवन के यथार्थ में उतरे हुए कम दृश्यावलोकन तथा उस पर चिंतन के अभाव में अनुभव नहीं हो पाता है। परंतु अनुभव ऐसी चीज है जिसे ध्यान में रखकर अगर भविष्य के पथ पर अग्रसर हुए जाएं तो सफलता निश्चित होती है।
वैसे तो हर व्यक्ति अपने आपको अनुभवी होने का दावा करता है परंतु जितनी अधिक सफलता मिलती है उतना ही वह सफल व्यक्ति अनुभवी कहलाने का हकदार होता है ।
अब प्रश्न है कि सफलता किसे कहते हैं ? तो मैं सफलता की यही परिभाषा दूंगा कि स्वनिर्मित पथ पर अग्रसर होते हुए किसी सुनिश्चित उद्देश्य की प्राप्ति कर लेना ही सफलता है।
उद्देश्य किसी व्यक्ति का कितना छोटा या कितना बड़ा है यह उस व्यक्ति के द्वारा नियत करने पर निर्भर करता है , परंतु छोटे उद्देश्य को भी अगर व्यक्ति प्राप्त कर लेता है तो उसे सफल कहा जाता है। हां , एक चीज ।सफलता का आवश्यक तत्व है कि उद्देश्य की प्राप्ति विभिन्न रास्ते या तरीके अपनाकर की जा सकती है परंतु उद्देश्य की प्राप्तिरूपी जो परिणाम है उससे पहले ही अगर पथ या रास्ता नियत हो जाए एवं उसी पथ पर बढ़ते हुए उस उद्देश्य की प्राप्ति हो तभी उसे सफलता कही जाती है , वरना बिना उद्देश्य नियत किए हुए भी किसी अच्छे परिणाम की प्राप्ति कभी-कभी हो जाती है परंतु यह सफलता नहीं है। उसी तरह विना पथ निर्धारित किए हुए अनजाने में किसी उद्देश्य तक पहुंच जाना भी सफलता नहीं है। एक तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु है: पथ निश्चित है उद्देश्य भी निश्चित है परंतु बीच में एक तीसरा तत्व है कि उद्देश्य के नियतिकरण से पहले ही उस पथ को पूर्व निर्धारित कर दिया जाए।
ऐसा इसलिए है कि आदि और अंत दो बिंदु अर्थात हेतु और परिणाम सदा निश्चित तथा सहगामी माने जाते हैं परंतु ज्ञानी व्यक्ति इससे अधिक महत्वपूर्ण उसके बीच वाले पथ को मानते हैं जिसके तनिक भी विचलित होने से परिणाम बदल जाते हैं । अतः यदि कोई भी व्यक्ति इतना परिपक्व हो कि वह हेतु परिणाम के साथ बीच की पथ प्रणाली ( यानी कार्य )को नियत कर देता हो तो उसे ही सफल या सफलतम व्यक्ति कहा जाता है क्योंकि हेतु भूत है पथ वर्तमान और फल या परिणाम भविष्य होता है। यदि कोई व्यक्ति वर्तमान की इतनी अवधारण करता है कि वह भविष्य को निश्चित करे तो उसे ही भविष्यवक्ता , दूरदर्शी , अंतर्यामी , ईश्वर , पराक्रमी न जाने किस किस नाम से लोग पुकारने लगते हैं...