जाड़े की रात
💔जाड़े की रात 💔
**********************************************
जाड़े की रात दूर तक पसरा सन्नाटा चारों तरफ कोहरे की धुंध बर्फीली हवाएं जैसे शरीर को बिल्कुल मानो चुभों सी रही थी
मैं अपने दिन के रोजमर्रा की तरह साइकिल से अपने गंतव्य नौकरी से अर्थात गांव की ओर चला आ रहा था
उस ठंड की रात बड़ी मुश्किल से साइकिल की हैंडल पकड़ में आ रही थी
गरीबी की मार और वेतन कम होना मानो जिंदगी जी नहीं कट सी रही थी ऊपर से घर की जिम्मेदारी,
मानो मैं नीरस पत्थर सा...
**********************************************
जाड़े की रात दूर तक पसरा सन्नाटा चारों तरफ कोहरे की धुंध बर्फीली हवाएं जैसे शरीर को बिल्कुल मानो चुभों सी रही थी
मैं अपने दिन के रोजमर्रा की तरह साइकिल से अपने गंतव्य नौकरी से अर्थात गांव की ओर चला आ रहा था
उस ठंड की रात बड़ी मुश्किल से साइकिल की हैंडल पकड़ में आ रही थी
गरीबी की मार और वेतन कम होना मानो जिंदगी जी नहीं कट सी रही थी ऊपर से घर की जिम्मेदारी,
मानो मैं नीरस पत्थर सा...