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सुल्तान बहादुर 😃🤣
( Disclaimer: इस कथा का हमारे वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं। और यदि आपके जीवन से है तो हमें कोई परवाह नहीं।🤣)


भाई साहब, हम तो अपने घर के सुल्तान हैं सुल्तान। हमारा हुक्म चलता है घर में। पूरी आन बान शान से रहते हैं। मजाल है कि बीवी चूं कर जाए।🤘😃

कल ही देखो, बीवी को हमने आदेश‌ दिया कि हम आज परांठे नहीं बनाएंगे तो उसने कहा, " ठीक है तो पिज़्ज़ा बना दो।" हम भी कहां मानने वाले थे।हमने कहा कि हम बर्तन धोने के बाद केवल सब्जी रोटी ही बनाएंगे। वो सकपका गई। बोली, " ठीक है तो रोटी सब्जी ही बना लो।" पूरी राजाओं वाली ठाठ के साथ हमने रोटी सब्जी बनाई।🤗😃

संडे को हम कुछ भी नहीं करते। केवल अपने लैदर के जूते पालिश करके धूप में रखते हैं। बीवी भी तीन चार जोड़ी ले आई। बोली," इन्हें भी पालिश कर दो।"हमने सख्त लहज़े में पूछा, "यह अनुरोध है कि आदेश?" उसने भी उसी लहज़े में उत्तर दिया,"आदेश।" हमारा भी पारा चढ़ गया और हमने एक घंटे के बजाए आधे घंटे में ही सारे जूते सैंडिल पालिश कर डाले और आकर सुल्तान की तरह सोफे पर पसर गए। 🤩🤣

बीवी थोड़ी देर बाद फिर आ गई। अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर उसने हमसे रिक्वेस्ट कर डाली, " मैं किटी पार्टी में जा रहीं हूं। लंच खुद बना लेना।"मगर हम भी ठहरे सुल्तान। हमने दोपहर में लंच ही नहीं बनाया बल्कि बाहर से ................भी नहीं मंगवाया। सुबह की बची खुची सब्जी रोटी से भरपूर शाही दावत उड़ाई।😡🙄🤭

वापिस लौटते ही उसने फिर से अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर एक और रिक्वेस्ट कर डाली। " अपना क्रेडिट कार्ड दो।"💃💃मैं भी दहाड़ा," वो क्यों?" जबाव आया, " क्यों बताऊं, मेरी मर्ज़ी!" हमें हमारा सुल्तान वाला स्टेटस याद आ गया। दिल्ली के सुल्तान भी तो खुश होकर गरीबों में सोने की अशर्फियां बांट दिया करते थे।हम कौन सा मुहम्मद बिन तुगलक से कम थे। हमने भी तुरंत अपना क्रेडिट कार्ड निकाल कर उसके हाथ में धर दिया। जैसे ही वो बाहर निकली, हम ज़ोर से दहाड़े," तखलिया (एकान्त)!" हम फिर से सुल्तान की भांति सोफे पर पसर गए।वैसे भी हम घर में अकेले ही तो थे।😭😭

अब अगर आपको हमारी पुरानी कहानी 'डरपोक बहादुर' याद आ रही है तो इसमें हमारा कोई कुसूर नहीं क्योंकि हम तो ठहरे अपने घर के सुल्तान!
🤣😃
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal