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वैशया गाथा में कहा और किसके बीच फंस गई थी।।
यह कहानी है एक असम्भव प्रेम गाथा जिसमें एक भुरवाहिनी, नंगविका, बूहवाहिनी, स्पर्शविका, वजर्जिनिका, सजोवन,सजोविनी,जोगन,कृषका,गुपिका,कृषणमाई, वैकल्पिका , कृषणानवी, संवैदिका, नगंगिका , विराहनवी, रिझानवी, भिछुकिनी, गृतवाहिन, माखानविका, मिश्रणानवी, उतेजिका , मलवाहिनी , वीर्यरक्षणिका, मूत्रपिका, शिप्का,शिप्रा , उपसनवी,भोगिन, बहकाशि, स्तनविका, वल्लभाह, संवैधानिक,संवैदिका, अंगिकाह, पेहपदार्थिका,
पुन्रवी, मृतकी,अस्तिदायनी , इजत्किका, सावनपिका, श्रेतवनदना,श्रेतकला, रितुवाहिन, गन्धकिका, महकावली , बूहवाहिनी, विरागंगिकाह, त्यगिका, बलिदावीकाह, गुप्तकिकाह, चटवाहिन, चुसविका, लापकाकिकाह, हिलायनिकाह , मुठवाहिनी,
समोहिकी, कर्मशीला, पदवाहिनी, चोदवाहिनी,
गान्डवाहिनी, सीलवाहिनी, पेहवाहिनी।।
वैशया लेखक की इस गाथा को समाप्त करके उनके चरणों में समर्पित होना चहाती थी , मगर प्रेम तथा प्यार में कोई भेद ना हो तो श्रृष्टि द्वारा किया गया हर कार्य असफल में अव्वल आएगा, और तो और लेखक वासुदेव कैमरा मैन ऑफ सागा के संग आकर अलग-अलग भूमिका में आंदोलन या प्रदर्शन करने नहीं बैठा बल्कि अपना सत्व तथा कर्त्तव्य इनके बीच श्रृष्टि के पंजों में फंसकर रह गया है एक असंभव प्रेम का वास्तविक उद्देश्य तथा लक्ष्य दोनो की मज़बूरी है, असफलता मगर क्या असफलता चुनौती या बनौती यह बात हमारी मानसिकता को दर्शाता है।।

दर दर अपने अस्तित्व को प्राप्त करने की चाह में वो एक बीमारी से अपने प्रेम में विलीन हो जाती है।।

जिसके बाद उसका अस्तित्व कहीं और चला जाता हैं कि किसी और दिशा की ओर अग्रसर प्रेरित होकर वहां के लोग उसकी एक स्मारग बनवाई जाती है जो कि एक किन्नर की में रखी जाती है जिसका किन्नराणी देवी शाशटांक रखा जाता जिसकी वहा उस मन्दिर में बहुत बड़ी भूमिका और मान्यता प्राप्त और बताई गई है।।
#किन्नर भूमिका।।
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