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जीवन का उद्देश्य... "कर्म"
कई बार हम सोचते हैं कि हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है...?

डॉक्टर... वकील... या अन्य, माना हमारा उद्देश्य डॉक्टर बनने का है पर क्या डॉक्टर बनते ही हमारे जीवन का उद्देश्य खत्म हो जाता है..?नहीं..कर्म हमें फिर भी करना होता है, वही कर्म जो हम डॉक्टर बनने से पहले करते आए हैं...

हमारे जीवन का उद्देश्य और कुछ नहीं बस कर्म है.. "" भविष्य की चिंता में बिना कुछ गलत किए बस कर्म करते रहना ""

उदाहरण के लिए हम डॉक्टर बनना हमारा उद्देश्य है पर काबिलियत नहीं और किसी भी तिकड़म से हम झोलाछाप डॉक्टर बन जाते हैं... तो परिणाम बुरा ही होगा.. अगर डॉक्टर नहीं तो भविष्य हमें हमारी काबिलियत के अनुसार और भी कुछ बेहतर देने वाला था.. पर हमारी तिकड़मबाजी ने परिणाम बिगाड़ दिया...

स्वर्ग और नर्क.. मृत्यु के पश्चात नहीं है.. यहीं है, मृत्यु के पश्चात् ज़ब शरीर ही नहीं होगा तो कहाँ नर्क में दर्द का और स्वर्ग में सुख का अहसास होगा..मृत्यु के पश्चात् क्या है, यह तो कोई जान नहीं पाया.. पर इतना कह सकती हूं कि जिस दिन हमें यह शरीर मिला... हम नर्क में प्रवेश कर गए.. क्यूंकि शरीर मिला है तो दर्द भी होगा... दिमाग़ मिला है तो तनाव भी होगा.. और उसमें भी स्त्री जीवन और भी भयावह है.. क्यूंकि शारीरिक यातनाएं कहीं अधिक झेलनी होती है...

कई बार आप सब भी महसूस करते होंगे कि अतीत में व्यर्थ ही तनाव लिया.. जो होना था भविष्य में वो होकर रहा वो भी बिना संघर्ष के.. कितने साल आपने बेमतलब तनाव में व्यर्थ कर दिए...

बस इतना समझे कि यदि इस जीवन में अच्छे से कर्म करते रहें...बिना किसी भविष्य का तनाव लिए और बिना कुछ गलत किए.. तो यह नर्क.. हमारे लिए स्वर्ग बन जाएगा...

और मृत्यु पश्चात जिसकी भी स्वर्ग नर्क या अन्य कोई धारणा है.. बस कपोल कल्पित है.. जिसका कोई प्रमाण नहीं...




© अनकहे अल्फाज़...