...

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घड़ी
आज जब ये तस्वीर देखी घड़ी की तो वो वक़्त याद आया जब मैंने अपनी माँ को घड़ी गिफ्ट की थी।
स्कूल मे पढ़ती थी तब, माँ का बर्थ डे आ रहा था।
कुछ पॉकेट मनी इकट्ठा करके मैंने एक घड़ी ली।

बहोत खुश थी मैं के माँ को घड़ी पसंद आयेगी।
वो डॉक्टर है तो घड़ी काम बहोत आयेगी।
जब घडी दी मैंने मुझे लगा माँ बहोत खुश होंगे।
पसंद तो आई उन्हे, पर कहा इसकी जरूरत क्या थी अपने सारे पैसे इसमे डाल दिये तुमने।

बहोत हर्ट हुआ मुझे, के मैं कितने चाओ से लाई हु वो तो देखो। गुस्सा हो कर मैंने वो घड़ी रोड पे फेक दी। तब भी नहीं टूटी। वापस जा के ले के आई और पत्थर से कूट डाला घड़ी को।
फिर रोना भी बहोत आया। कुछ दिन उनसे बात भी नही की। फिर उन्होंने कहा अरे तोड़ी क्यो? अच्छी तो कहा था।
दुबारा जा के वैसी घड़ी ली और पहनाई माँ को।
मेरे पास शायद बहोत सी घड़ियाँ है। ब्रांड वाली नॉन ब्रांडेड सब है।
गुची, राडो, पुलिस सब है। पापा अब नहीं है। पर पापा की घड़ी मैं आज भी पहनती हु।
जब कोई पूछता है इतना बड़ा डायल है क्यों पहनती हो? उन्हें शायद ना पता हो मैंने इस घड़ी मे बहोत कीमती वक़्त समेट के रखा है ❤




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