क्या ऐसा भी होना था।(part 2)
किसी ने दरवाज़ा खोला तो पूरा कमरा अंधेरे में डूबा हुआ था।अंदर प्रवेश करने वाले को थोड़ा आश्चर्य हुआ कि जिस कमरे का bulb रात के १ बजे बंद होता था आज वहां ९बजे ही अंधेरा छाया हुआ था ।
दरवाज़े के पास लगे बोर्ड की बटन पर हाथ फेरा तो सब कुछ नज़र आने लगा । लेकिन वह तो वहां नहीं थी।
" ये लड़की भी ना "अमीना पलटी ही थी कि उसे कमरे कि सामने वाली दीवार पे लगी खिड़की से बाहर आंगन में पड़े झूले पर वह नज़र आ गई।
" ये आज चांद को क्यों घूरा जा रहा है" अमीना ने नूर के सर पर हाथ फेरा तो वह मां को देख कर मुस्कुरा दी।
" चांद को कौन देख रहा है मां?"
"अच्छा!तो आज तारे गिने जा रहे हैं।वैसे ये भी ठीक है हो सकता है इन की गिनती तुम ही पूरा कर लो।" अमीना ने झूले पर बैठते हुए कहा।
" मैं...
दरवाज़े के पास लगे बोर्ड की बटन पर हाथ फेरा तो सब कुछ नज़र आने लगा । लेकिन वह तो वहां नहीं थी।
" ये लड़की भी ना "अमीना पलटी ही थी कि उसे कमरे कि सामने वाली दीवार पे लगी खिड़की से बाहर आंगन में पड़े झूले पर वह नज़र आ गई।
" ये आज चांद को क्यों घूरा जा रहा है" अमीना ने नूर के सर पर हाथ फेरा तो वह मां को देख कर मुस्कुरा दी।
" चांद को कौन देख रहा है मां?"
"अच्छा!तो आज तारे गिने जा रहे हैं।वैसे ये भी ठीक है हो सकता है इन की गिनती तुम ही पूरा कर लो।" अमीना ने झूले पर बैठते हुए कहा।
" मैं...