कहानी खत्म होने वाली है ।
कहानियों के खत्म होने से उसके किरदार और उससे जुड़ी यादें नहीं खत्म हो जाती हैं ।कहानी के बीच में क्या हुआ ये मायने नहीं रखता कहानी का अंत कैसा हुआ ये मायने रखता । जिन कहानियों का अंत अच्छा होता है उन कहानियों से मिलती है हमें सुखद यादे और जिनका बुरा उनसे मिलता है तो बस अवसाद ।
कुछ कहानियां अधूरी ही अच्छी लगती है जैसे कि प्यार की ।पर कुछ कहानियों का खत्म होना बहुत ज़रूरी होता है फिर चाहे उस कहानी का अंत अच्छा हो या बुरा ।
सब की ज़िदंगी इक कहानी ही तो है और सब अपनी अपनी कहानी लिखते है और अब ये हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम उस कहानी का अंत अच्छा चाहते है या बुरा । एक सेकेंड है इक अक्षर ,एक मिनट है इक शब्द ,एक घंटा है एक वाक्य ,एक दिन है इक पैराग्राफ ,एक साल है इक अध्याय और हमारी पूरी जिदंगी से बनती है इक कहानी ।
लोग अपनी अपनी पसंद के हिसाब से अपनी कहानी बुनते है ।उस कहानी में से कुछ वाक्य(कुछ घंटे) ऐसे होते है यादगार पलो वाले हाईलाइटर से हाईलाइट कर देते है और जिसे हम कभी भूलना नहीं चाहते पर कुछ वाक्य ऐसे होते है जिन्हे हम याद ही नहीं करना चाहते और हम बस यही सोचते रहते है कि काश हम इसे मिटा पाते ,हम उसे वक्त रूपी रबर से उसे मिटाने की भरपूर कोशिश भी करते है लेकिन उसके निशान रह ही जाते है ।
अब कहानी लिखनी है तो कलम तो ज़रूरी है और वो कमल है हमारे माता पिता ,वो अंत समय तक जब तक उनमें स्याही की इक बूंद बची रहती है तब तक कहानी लिखने में हमारा साथ देते हैं।कलम के साथ कागज़ की भी ज़रूरत है तो वो कागज़ है हमारे दोस्त , अब कागज़ की क्वालिटी अच्छी है तो तुम्हारी कहानी देखने में अच्छी लगेगी और पढ़ने में कठिनाई नहीं होगी , इसलिए जरूरी है कि हम इक उच्च दर्जे के कागज़ का इस्तेमाल करे ।
तो क्यों ना हम ऐसी कहानी लिखे जिसे हर कोई पढ़ना और जानना चाहे,और वो कहानी इतिहास बन जाए। ऐसी कहानी लिखने का क्या फ़ायदा जो गुमनाम होकर रह जाए।
मै भी अपनी कहानी लिख रहा हूं और मुझे विश्वास है मेरी कहानी लोगो को पसंद आएगी । मै अपनी कहानी को लंबा नहीं खीचूंगा क्यंकि जितने कम अध्याय पढ़ने में उतनी ही सरलता । अब लगता है मेरी कहानी का अंत आ गया है , पर कभी कभी लगता है अब भी कुछ बाकी है.......
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कुछ कहानियां अधूरी ही अच्छी लगती है जैसे कि प्यार की ।पर कुछ कहानियों का खत्म होना बहुत ज़रूरी होता है फिर चाहे उस कहानी का अंत अच्छा हो या बुरा ।
सब की ज़िदंगी इक कहानी ही तो है और सब अपनी अपनी कहानी लिखते है और अब ये हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम उस कहानी का अंत अच्छा चाहते है या बुरा । एक सेकेंड है इक अक्षर ,एक मिनट है इक शब्द ,एक घंटा है एक वाक्य ,एक दिन है इक पैराग्राफ ,एक साल है इक अध्याय और हमारी पूरी जिदंगी से बनती है इक कहानी ।
लोग अपनी अपनी पसंद के हिसाब से अपनी कहानी बुनते है ।उस कहानी में से कुछ वाक्य(कुछ घंटे) ऐसे होते है यादगार पलो वाले हाईलाइटर से हाईलाइट कर देते है और जिसे हम कभी भूलना नहीं चाहते पर कुछ वाक्य ऐसे होते है जिन्हे हम याद ही नहीं करना चाहते और हम बस यही सोचते रहते है कि काश हम इसे मिटा पाते ,हम उसे वक्त रूपी रबर से उसे मिटाने की भरपूर कोशिश भी करते है लेकिन उसके निशान रह ही जाते है ।
अब कहानी लिखनी है तो कलम तो ज़रूरी है और वो कमल है हमारे माता पिता ,वो अंत समय तक जब तक उनमें स्याही की इक बूंद बची रहती है तब तक कहानी लिखने में हमारा साथ देते हैं।कलम के साथ कागज़ की भी ज़रूरत है तो वो कागज़ है हमारे दोस्त , अब कागज़ की क्वालिटी अच्छी है तो तुम्हारी कहानी देखने में अच्छी लगेगी और पढ़ने में कठिनाई नहीं होगी , इसलिए जरूरी है कि हम इक उच्च दर्जे के कागज़ का इस्तेमाल करे ।
तो क्यों ना हम ऐसी कहानी लिखे जिसे हर कोई पढ़ना और जानना चाहे,और वो कहानी इतिहास बन जाए। ऐसी कहानी लिखने का क्या फ़ायदा जो गुमनाम होकर रह जाए।
मै भी अपनी कहानी लिख रहा हूं और मुझे विश्वास है मेरी कहानी लोगो को पसंद आएगी । मै अपनी कहानी को लंबा नहीं खीचूंगा क्यंकि जितने कम अध्याय पढ़ने में उतनी ही सरलता । अब लगता है मेरी कहानी का अंत आ गया है , पर कभी कभी लगता है अब भी कुछ बाकी है.......
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