रूठी हुई महबूब
कोई दिन से वो मुझसे ना मिलने आती थी....और ना हीं अपनी सहेलियों के हाथ कोई पत्र भेजा करती थी।
७(7)साल कि संबंध में ऐसा पहली बार हुआ था कि हाम एक दुसरे को ना मिलें ९(9)दिन गुजार दिया था। पर अभी पानी सिर से ऊपर जा चुकी थी..... मैं अपने साईकिल से ऊसे मिलने ऊसके घर जा पंहुचा । घर के सामने आई ईतना सारे लोगों के भीड़ को देखकर मैं थोड़ा डर गया... पर जो भी हो आगे बढ़ना होगा असलियत के बारे में रूबरू होना ही होगा । मैं दबें पाँव आगे बढने लगा ,,,,,,सायेद कोई लेटा था वाहि जो हूबहू मरी चित्रकला कि तरहा दिखने में थी । मैं...
७(7)साल कि संबंध में ऐसा पहली बार हुआ था कि हाम एक दुसरे को ना मिलें ९(9)दिन गुजार दिया था। पर अभी पानी सिर से ऊपर जा चुकी थी..... मैं अपने साईकिल से ऊसे मिलने ऊसके घर जा पंहुचा । घर के सामने आई ईतना सारे लोगों के भीड़ को देखकर मैं थोड़ा डर गया... पर जो भी हो आगे बढ़ना होगा असलियत के बारे में रूबरू होना ही होगा । मैं दबें पाँव आगे बढने लगा ,,,,,,सायेद कोई लेटा था वाहि जो हूबहू मरी चित्रकला कि तरहा दिखने में थी । मैं...