उधार रहा
कल जन्मदिन है मेरा। बचपन में गन्ने का रस,और पेट भर कर नाश्ता कराते थे मम्मी पापा। मम्मी तय्यार करके देती थी और पेट भरने के बाद मेरा फोटो निकालते थे।
मस्त लगता था। १२ वी तक इसी तरह मेरा जनम दिन मनाते थे मम्मी पापा।फिर होस्टल गई तो एक दोस्त थी जो ये दिन मेरे साथ गुजारती थी।बड़े प्यार से मेरा जन्मदिन मनाती थी।
पेट भरके बोहोत सारा नाश्ता करना और तस्वीर खिचाना, जन्मदिन में ये मिल गया तो बस बात बन गई।
आज भी यही चाहिए, मिलता भी यही,अगर ये कोरोना ना होता।तो क्या हुआ अगर ये ना मिला, कम से कम इस जन्मदिन पे उन लोगो की सलामती तो मिली है मुझे जिन्हें मै हमेशा खुश देखना चाहती हूं।
बाकी रही बात नाश्ता और तस्वीर खिचाने की वो अगले साल के लिए उधार रहा।
© drowning angel
मस्त लगता था। १२ वी तक इसी तरह मेरा जनम दिन मनाते थे मम्मी पापा।फिर होस्टल गई तो एक दोस्त थी जो ये दिन मेरे साथ गुजारती थी।बड़े प्यार से मेरा जन्मदिन मनाती थी।
पेट भरके बोहोत सारा नाश्ता करना और तस्वीर खिचाना, जन्मदिन में ये मिल गया तो बस बात बन गई।
आज भी यही चाहिए, मिलता भी यही,अगर ये कोरोना ना होता।तो क्या हुआ अगर ये ना मिला, कम से कम इस जन्मदिन पे उन लोगो की सलामती तो मिली है मुझे जिन्हें मै हमेशा खुश देखना चाहती हूं।
बाकी रही बात नाश्ता और तस्वीर खिचाने की वो अगले साल के लिए उधार रहा।
© drowning angel